बैंगन की खेती बनाएगी लखपति, 8 महीने में कमाएं 8 लाख रुपये, जानिए वो खास तरीका

आज के समय में बैंगन किसी भी सीजन में उगाया जा सकता है क्योंकि इसकी कई किस्में उपलब्ध हैं. साथ ही, कीटनाशक और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो गई हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे आप बैंगन की खेती करके लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.

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Brinjal Farming: आज के समय में भारत में नौकरी की काफी मारामारी है. देश में युवा शक्ति की जितनी चर्चा होती है, उतनी ही बेरोजगारी की भी. हालांकि, अब लोग धीरे-धीरे बिजनेस की ओर रुख कर रहे हैं. पढ़े-लिखे युवा भी खेती की ओर ध्यान दे रहे हैं और सीजनल सब्जियों की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक फसल बैंगन की खेती के बारे में बताएंगे, जिससे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.

किसी भी मौसम में उगाएं बैंगन

आज के समय में बैंगन किसी भी सीजन में उगाया जा सकता है क्योंकि इसकी कई किस्में उपलब्ध हैं. साथ ही, कीटनाशक और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो गई हैं, जिससे इसकी खेती आसान हो गई है. हालांकि, बैंगन की खेती रबी ( अक्टूबर-नवंबर के दौरान बोवाई और मार्च-अप्रैल में कटाई) के मौसम में सबसे अधिक लाभदायक होती है क्योंकि इस दौरान इसकी पैदावार अधिक होती है और निवेश भी कम करना पड़ता है.

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दोहरी कमाई

बैंगन की खेती मिश्रित फसल के रूप में भी की जा सकती है, जिससे दोहरी कमाई संभव होती है. आप बैंगन के साथ-साथ करेला, भिंडी और टमाटर जैसी सब्जियों की भी खेती कर सकते हैं.

बैंगन के लिए बीज

बैंगन की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन बहुत जरूरी है.बाजार में बैंगन की कई किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें पूसा हाइब्रिड-5, पूसा हाइब्रिड-9, विजय हाइब्रिड, पूसा पर्पल लॉन्ग, पूसा क्लस्टर, पूसा क्रांति, पंजाब जामुनी गोला, नरेंद्र बैंगन-1, आजाद क्रांति, पंत ऋतुराज, पंत सम्राट और टी-3 प्रमुख हैं.

खेती का तरीका

बैंगन के बीजों को पहले नर्सरी में बोया जाता है. लगभग एक महीने बाद जब पौधे थोड़े बड़े हो जाते हैं, तब इन्हें खेत में रोपा जाता है, जिसे बैंगन की रोपाई कहा जाता है. रोपाई करते समय पौधों के बीच 6×3 फीट की दूरी रखनी चाहिए. एक एकड़ में बैंगन की खेती के लिए करीब 3,500 पौधों की आवश्यकता होती है. रोपाई के 70-80 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है और इसकी तुड़ाई शुरू की जा सकती है. बैंगन की खासियत यह है कि यह कई महीनों तक लगातार उत्पादन देता है.

सिंचाई का सही मैनेजमेंट

बैंगन की खेती में अधिक उत्पादन के लिए सही समय पर सिंचाई करना जरूरी है. खरीफ के मौसम में सिंचाई बार-बार करनी पड़ती है, जबकि रबी के मौसम में शुरुआत में 1-2 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. ध्यान रखें कि खेत में पानी का जमाव न हो, क्योंकि खड़े पानी से बैंगन की फसल सड़ सकती है.

मिट्टी, रोग और कीट मैनेजमेंट

बैंगन की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें कार्बनिक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा हो. भूमि का पीएच मान 5.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए. इसके अलावा, सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें. इसके अलावा, प्रति हेक्टेयर 120-150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-75 किलोग्राम फास्फोरस और 50-60 किलोग्राम पोटाश आवश्यक होता है.

बैंगन की फसल में कीटों का काफी खतरा रहता है. इसमें फल और शाखाओं को नुकसान पहुंचाने वाले कीट सक्रिय रहते हैं. इसे रोकने के लिए समेकित कीट प्रबंधन के उपाय कारगर होते हैं, जैसे कि संक्रमित शाखाओं को हटाना और नष्ट करना.

बैंगन की खेती की लागत और मुनाफा

बैंगन की खेती में प्रति हेक्टेयर लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि खरीफ( मानसून के आगमन यानी जून-जुलाई में बोवाई और शरद ऋतु यानी सितंबर-अक्टूबर के दौरान कटाई) के मौसम में यह खर्च बढ़कर 2 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. अच्छी देखभाल के साथ बैंगन प्रति हेक्टेयर 40-50 टन तक उत्पादन देता है. अगर बाजार में बैंगन की कीमत 10 रुपये प्रति किलो भी मिलती है, तो एक सीजन में 4-5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. यानी सालभर में 8-9 लाख रुपये तक की कमाई संभावना है.

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