देश में फल और सब्जियों की उपलब्धता बढ़ी, लेकिन चुनौतियां बरकरार

देश में पिछले 10 सालों में फल और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 7 किलो और 12 किलो की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, ट्रांसपोर्ट, पैकेजिंग और स्टोर की कमी के कारण 30-35% फल और सब्जियां खराब हो जाती हैं. जिसका असर खपत पर भी पड़ता है.

देश में पिछले 10 सालों में फल और सब्जियों की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई है.

देश में पिछले 10 सालों में फल और सब्जियों की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई है. स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में पिछले 10 सालों में प्रति व्यक्ति सब्जियों और फलों की उपलब्धता में क्रमशः 12 किलो और 7 किलो का इजाफा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, देश के कई राज्यों में फल और सब्जियों के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई है, जिनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य शामिल हैं. लेकिन वहीं, कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्रति व्यक्ति उत्पादन में गिरावट आई है.

पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट की कमी

देश में प्रति व्यक्ति 227 किलो के करीब फल और सब्जियां का उत्पादन हो रहा है, जो कि पहले से तय 146 किलो से अधिक है. फिर भी 30-35 प्रतिशत फल और सब्जियां नष्ट हो जाती हैं. देश में स्टोर और पैकेजिंग की कमी और ट्रांसपोर्ट की समस्याओं के कारण बहुत सारा खाना बर्बाद हो जाता है, जिसका असर खपत पर भी पड़ता है.

मौसम की मार झेल रहे किसान

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अत्यधिक गर्मी और सर्दी की लहरों के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट आई है. विशेष रूप से गेहूं की पैदावार पर तापमान बढ़ने से नकारात्मक असर पड़ा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, तापमान 30°C से ऊपर बढ़ने पर गेहूं की पैदावार में 3-4 प्रतिशत की कमी हो सकती है.

महंगाई में थोड़ी राहत

देश में फल और सब्जियों के दामों में आई कमी के कारण खुदरा महंगाई घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई है, जबकि पिछले महीने यह 6 प्रतिशत से अधिक थी. अक्टूबर में 42.2 प्रतिशत वृद्धि के बाद, नवंबर में यह गिरकर 29.3 प्रतिशत हो गई. हालांकि, इस दौरान प्रोटीन महंगाई में वृद्धि देखने को मिली है.

राज्यों के बीच महंगाई में अंतर

रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम और हाई इनकम वाले राज्यों में खाद्य महंगाई कम हुई है, जबकि निम्न आय वाले राज्यों में महंगाई ज्यादा है. इसी कारण निम्न आय वाले राज्यों से श्रमिक उच्च आय वाले राज्यों में जा रहें है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गैर-कृषि श्रमिकों के वेतन में वृद्धि का खाद्य महंगाई पर कोई खास असर नहीं पड़ता.