कर्नाटक सरकार ने पंजाब के हजारों क्विंटल चावल को लेने से किया इनकार, जानें क्या है बड़ी वजह

पंजाब से उगाए और खरीदे गए चावल को खारिज किए जाने से राज्य में चावल-छिलका इकाई के मालिकों और किसानों की नाराजगी बढ़ गई है, जिन्हें “पंजाब के चावल को अचानक खारिज किए जाने में साजिश की गंध आ रही है. कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि उन्हें डर है कि पंजाब के चावल के नमूने जानबूझकर गुणवत्ता के आधार पर खारिज किए जा रहे हैं.

क्या पंजाब के चावल खाने योग्य नहीं हैं. आखिर राज्य क्यों कर हैं लेने से इनकार. Image Credit: Chadchai Ra-ngubpai/Moment/Getty Images

कर्नाटक सरकार ने पंजाब को बड़ा झटका दिया है. उसने पंजाब से कर्नाटक भेजे गए हजारों क्टिंल चाल को रिजेक्ट कर दिया है. कर्नाटक सरकार का कहना है कि पंजाब के चावल की क्वालिटी काफी खराब है. यह खाने योग्य नहीं है. खास बात यह है कि सार्वजनिक वितरण के लिए उपभोक्ता राज्य को भेजे जाने के बाद किसी सरकार द्वारा चावल को अस्वीकार किए जाने का यह दूसरा मामला है. दो सप्ताह पहले, पंजाब से अरुणाचल प्रदेश को भेजे गए चावल के नमूने खराब गुणवत्ता और मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए थे. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश ने भी चावल को लेने से इनकार कर दिया था.

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा भेजी गई टीमों ने हुबली (कर्नाटक) में भंडारण डिपो और उचित मूल्य की दुकानों से फोर्टिफाइड चावल के 26 नमूने एकत्र किए. इनमें से चार नमूनों को ‘अस्वीकृति सीमा से परे’ घोषित किया गया है. यानी क्वालिटी खराब होने की वजह से यह अब खाने लायक नहीं रहा. हालांकि, मंत्रालय ने इन स्टैकों को बदलने के लिए कहा था – जिनसे नमूने लिए गए थे. नाभा से हुबली को 7,304 बैग (3,568.837 क्विंटल) भेजे गए, जबकि जालंधर जिले के भोगपुर से 2,995 बैग (1,484.929 क्विंटल) भेजे गए. पटियाला और जालंधर डिवीजनों में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अधिकारियों को भी इस बारे में सूचित किया गया है और चावल के ढेर को बदलने के लिए कहा गया है, जिनके नमूने अनाज को अधिक नुकसान होने के कारण खारिज कर दिए गए थे.

पंजाब के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब से उगाए और खरीदे गए चावल को खारिज किए जाने से राज्य में चावल-छिलका इकाई के मालिकों और किसानों की नाराजगी बढ़ गई है, जिन्हें “पंजाब के चावल को अचानक खारिज किए जाने में साजिश की गंध आ रही है. कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि उन्हें डर है कि पंजाब के चावल के नमूने जानबूझकर गुणवत्ता के आधार पर खारिज किए जा रहे हैं, जबकि इन्हें प्राप्तकर्ता राज्यों को भेजे जाने के महीनों बाद, पंजाबी किसानों को चावल उगाने से रोकने के लिए ऐसा किया गया है. ऐसा लगता है कि पंजाब से भेजे गए चावल के खिलाफ जनता की राय बन रही है, क्योंकि केंद्र के अन्न भंडार भरे हुए हैं.

किसान नेता ने जताई आशंका

राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र धान खरीद में कॉरपोरेट खिलाड़ियों को लाना चाहता है. हो सकता है कि अगले सीजन में कॉरपोरेट एमएसपी से कम दरें दें, लेकिन किसान मंडियों में रातें बिताने के बजाय उनके पास जाएंगे. चावल मिलर्स ने भी आशंका जताई है कि चावल के नमूनों के मद्देनजर एफसीआई पंजाब से चावल की आवाजाही तब तक रोक देगा जब तक कि राज्य में सभी चावल की गुणवत्ता की जांच नहीं हो जाती. एफसीआई पंजाब क्षेत्र के क्षेत्रीय महाप्रबंधक बी श्रीनिवासन ने कहा कि पंजाब में सभी स्टॉक की गुणवत्ता की जांच करने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं और उन्होंने आश्वासन दिया कि चावल की आवाजाही जारी रहेगी.