Kisan Andolan: किसानों ने फिर वापस लिया दिल्ली चलो मार्च, पंढेर के हरियाणा पुलिस पर गंभीर आरोप

यह राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रदर्शनकारी किसानों का तीसरा प्रयास था. किसानों ने इससे पहले 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को दो प्रयास किए थे, लेकिन हरियाणा में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं.

किसानों ने स्थगित किया पैदल मार्च. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: tv9

पुलिस से संघर्ष के बाद शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने ‘दिल्ली चलो पैदल मार्च’ को वापस ले लिया है. पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि फिलहाल किसान दिल्ली के लिए पैदल मार्च नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हमने दोनों मंचों (शंभू और खनौरी बॉर्डर) से अपने जत्थे को वापस बुलाने का फैसला किया है. एक सवाल के जवाब में पंढेर ने कहा कि हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के दौरान 17-18 किसान घायल हुए हैं. वहीं, किसान नेता मंजीत सिंह राय ने आरोप लगाया कि सुरक्षाकर्मियों ने रबर की गोलियां भी चलाईं और एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया.

राय ने कहा कि दोनों मंचों ने आज के लिए जत्थे को वापस बुलाने का फैसला किया है और बैठक के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी. जबकि सरवन सिंह बढ़ेर ने आरोप लगाया कि किसानों को तितर-बितर करने के लिए रासायनिक मिश्रित पानी का इस्तेमाल किया गया और इस बार अधिक आंसू गैस के गोले दागे गए. हालांकि, अंबाला कैंट के पुलिस उपाधीक्षक रजत गुलिया ने आरोपों का खंडन किया है. पंढेर ने कहा कि संसद में संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने पर बहस चल रही है, लेकिन संसद में किसानों के लिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है. यहां हम जानना चाहते हैं कि हमारे विरोध पर कौन सा संविधान लागू होता है.

क्या कहते हैं किसान नेता पंढेर

पीटीआई के मुताबिक, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि 101 किसानों का जत्था देश की कानून-व्यवस्था के लिए कैसे खतरा बन सकता है. हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार भी की. यह कार्रवाई तब हुई जब शनिवार को दोपहर 12 बजे पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर शंभू विरोध स्थल से दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करने वाले किसानों का समूह हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स तक पहुंच गया. उन्होंने कहा कि किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं.

दिल्ली चलो पैदल मार्च का तीसरा प्रयास

बता दें कि यह राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रदर्शनकारी किसानों का तीसरा प्रयास था. किसानों ने इससे पहले 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को दो प्रयास किए थे, लेकिन हरियाणा में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं. वे केंद्र पर अपने मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत शुरू करने का भी दबाव बना रहे हैं.

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किसानों की ये हैं केंद्र सरकार से मांगें

पंढेर ने कहा कि 13 फरवरी से वे पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. जब सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोक दिया गया था. दरअसल, किसान नेता फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की मांग कर रहे हैं.

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