जल्द रिटेल मार्केट में भी सस्ती होंगी दालें, सरकार ने बनाया गजब का प्लान
महाराष्ट्र के लातूर के दाल प्रोसेसर नितिन कलंत्री ने कहा कि पिछले दो महीनों में तुअर की कीमतों में 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. अभी खेतों में खड़ी तुअर की फसल पिछले तीन-चार सालों में सबसे अच्छी दिख रही है. वहीं, सर्दियों की सब्जियों की सस्ती उपलब्धता ने महंगी दालों की मांग को कम कर दिया है.
होलसेल रेट में गिरावट आने के बावजूद रिटेल मार्केट में दालें सस्ती नहीं हो रही हैं. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. ऐसे में केंद्र सरकार सख्त हो गई है. उसने रिटेल इंडस्ट्री के साथ बैठें शुरू कर दी है. उसने रिटेल इंडस्ट्री को भी होलसेल रेट में गिरावट के अनुरूप दालों की कीमत कम करने की सलाह दी. क्योंकि सरकार के प्रयासों के बाद ही होलसेल मार्केट में दालें सस्ती हुई हैं. पिछले दो महीनों के अंदर अरहर, मसूर, चना, मूंग, पीली मटर और उड़द की कीमतों में 5 से 20 फीसदी की गिरावट आई है. लेकिन खुदरा कीमतें अभी भी पहले की तरह स्थिर बनी हुई हैं.
द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने हाल ही में इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों से मुलाकात की ताकि यह समझा जा सके कि खुदरा कीमतें क्यों कम नहीं हो रही हैं. इंडस्ट्री के कुछ शीर्ष सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार ने खुदरा व्यापारी को कम से कम कुछ दालें कम कीमतों पर बेचने की सलाह दी है. खास बात यह है कि अगर सरकार की इस पहल के बाद भी अगर खुदरा कीमतें कम नहीं होती हैं, तो सरकार खुले बाजार में भारत ब्रांड दालों की बिक्री बढ़ाने का विकल्प चुन सकती है.
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अधिक मात्रा में किया गया आयात
अधिकारियों ने कहा कि इस साल खरीफ की अच्छी फसल की उम्मीद है. साथ ही पीली मटर और चना का भारी मात्रा में आयात किया गया है. इससे दालों की कीमतों को कम करने में मदद मिली है. चना को छोड़कर अधिकांश दालों की कीमतें इस समय पिछले साल की तुलना में कम हैं. महाराष्ट्र के लातूर के दाल प्रोसेसर नितिन कलंत्री ने कहा कि पिछले दो महीनों में तुअर की कीमतों में 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. अभी खेतों में खड़ी तुअर की फसल पिछले तीन-चार सालों में सबसे अच्छी दिख रही है. वहीं, सर्दियों की सब्जियों की सस्ती उपलब्धता ने महंगी दालों की मांग को कम कर दिया है.
दालों की कीमतों में आई गिरावट
भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) के वरिष्ठ अधिकारी सतीश उपाध्याय ने कहा कि तुअर की कीमतों में 20 फीसदी, चना और पीली मटर की कीमतों में 10 फीसदी और मसूर- उड़द की कीमतों में 5-10 फीसदी की गिरावट आई है. वहीं, काबुली चना और राजमा जैसी दालों की कीमतों में भी मंदी है. सब्जियों की सस्ती उपलब्धता ने दालों की मांग के दबाव को भी कम किया है, जिससे कीमतों को कम करने में मदद मिली है.
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