मिलिए मुजफ्फरपुर की ‘सोलर दीदी’ से, अपनी मेहनत से गांव में बन गईं सफल एंटरप्रेन्योर
देवकी देवी रतनपुरा गांव की रहने वाली हैं. पहले देवकी देवी एक साधारण गृहिणी थीं. उनका परिवार भोजन सहित अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करता था. वहीं, करनपुर दक्षिण पंचायत के भगवानपुर दधिया की सुनीता देवी घर तक ही सीमित थीं और परिवार और मवेशियों की देखभाल करती थीं.
बिहार अब प्रगति की राह पर चल पड़ा है. यहां के महिलाएं भी उद्यमी बन रही हैं. आज हम मुजफ्फरपुर जिला स्थित बोचहां थाना की रहने वाली दो उद्यमी महिलाओं के बारे में बात करेंगे. इन दोनों महिलाओं को अब लोग ‘सोलर दीदी’ के नाम से जानते हैं. 2023 में सौर ऊर्जा सिंचाई अपनाने के बाद दोनों की जिन्दगी बदल गई. अब दोनों महिलाएं गांव में ही रहकर खेती से अच्छी कमाई कर रही हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं देवकी देवी और सुनीता देवी के बारे में . आज इन दोनों को लोग ‘सोलर दीदी’ के नाम से जानते हैं. देवकी देवी रतनपुरा गांव की रहने वाली हैं. पहले देवकी देवी एक साधारण गृहिणी थीं. उनका परिवार भोजन सहित अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करता था. वहीं, करनपुर दक्षिण पंचायत के भगवानपुर दधिया की सुनीता देवी घर तक ही सीमित थीं और परिवार और मवेशियों की देखभाल करती थीं. अब दोनों महिलाओं की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई है. देवकी और सुनीता आज अपने गांव में ‘सोलर दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. साल 2023 में सौर ऊर्जा सिंचाई अपनाने के उनके फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी है और दोनों की अब गांव में अच्छी कमाई हो रही है.
बोचहां थाने में कई महिला उद्यमी
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बोचहां थाने में सिर्फ ये दो महिलाएं ही नहीं हैं. 90 से ज़्यादा ऐसी महिला उद्यमी हैं, जिनकी जिंदगी सौर ऊर्जा सिंचाई की आपूर्ति को अपनाकर बदल गई है. बदले में, वे अपने थाने में 3,000 से अधिक छोटे किसानों के जीवन में रोशनी लाने की कोशिश कर रहे हैं. AKRSP के टीम लीडर मुकेश चंद्रा ने कहा कि इस पहल के पीछे आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम भारत (AKRSP), जीविका, माइक्रो-फाइनेंस फर्म रंग दे, एक्सिस बैंक और गेट्स फाउंडेशन जैसे गैर-सरकारी संगठन हैं.
कम कीमत पर पानी की आपूर्ति
उन्होंने कहा कि ये महिलाएं आस-पास के खेतों में किसानों को कम दरों पर पानी की आपूर्ति करती हैं. चंद्रा ने कहा कि बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां किसानों के पास एक कट्टा या दो कट्टा जैसी बहुत छोटी जोत है. किसानों के लिए ऐसी ज़मीन पर सिंचाई की सुविधा पाना मुश्किल है. इसलिए, वे पड़ोसी किसानों से कम कीमत पर पानी खरीदते हैं.
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सोलर पंप से हो रही कमाई
उन्होंने कहा कि पांच साल पहले, जब बिजली उपलब्ध नहीं थी, तो किसानों ने डीजल सेट से पानी पंप करके खरीदा. उसके बाद, उन्होंने बिजली से चलने वाले पंपों का सहारा लिया. AKRSPI टीम लीडर ने कहा कि डीजल पंप से पानी की आपूर्ति की लागत ₹150-200 प्रति घंटा है और बिजली से चलने वाले पंप से, लागत ₹120-150 है. वहीं, देवकी ने कहा कि मैं सिंचाई के लिए ₹100 प्रति घंटा चार्ज करती हूं. यह एक घंटे में 3-4 कट्टा सिंचाई कर सकता है. यह बिजली से चलने वाले पंपों के लिए ₹60 और डीजल से चलने वाले पंपों के लिए ₹75 के मुकाबले ₹25-35 प्रति कट्टा है.
आने वाले दिनों में और तेज होगा बदलाव
चंद्रा ने कहा कि डीजल या बिजली से चलने वाले पंप 3 हॉर्स पावर के होते हैं, लेकिन ये सोलर पंप 5 हॉर्स पावर के हैं. इसलिए, वे अधिक पानी की आपूर्ति करते हैं. इसके अलावा, किसानों को बिजली कटौती के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. पानी की गारंटी मिलने से अब किसान धान, मक्का और अन्य खाद्यान्न फसलों से नकदी फसलों, खासकर बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं. AKRSP टीम लीडर कहते हैं कि आने वाले दिनों में यह बदलाव और तेज़ होगा.
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