ये हैं आलू की 3 उन्नत किस्में, यूपी-बिहार सहित इन 11 राज्यों में बुवाई करने पर होगी बंपर पैदावार
अगर आप आलू की बुवाई करने की प्लानिंग कर रहे हैं और किस्मों के चयन को लेकर असमंजस में हैं, तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप आलू की इन तीन किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. 90 दिनों में ही आपको बंपर उपज मिलेगी.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित अधिकांश राज्यों में आलू की बुवाई शुरू हो गई है. लेकिन बहुत से किसान आलू की किस्मों को लेकर अभी असमंजस में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि आलू की किन किस्मों की बुवाई करें, ताकि कम समय में बंपर पैदावार हो. पर ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आईसीएआर ने हाल ही में आलू की तीन ऐसी किस्मों को विकसित किया है, जिसकी बुवाई करने पर अच्छी उपज मिलेगी. खास बात यह है कि इन किस्मों का स्वाद भी काफी उमदा है. चिप्स बनाने में भी इन किस्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
ये हैं आलू की नई किस्में
कुफरी भास्कर: आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने आलू की जिन किस्मों को विकसित किया है, उसमें कुफरी भास्कर भी है. यह जल्दी तैयार होने वाली आलू की किस्म है. बुवाई करने के 85 से 90 दिनों के बाद यह किस्म तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर है. बड़ी बात यह है कि यह किस्म गर्मी के प्रति सहनशील है. यानी गर्मी के मौसम में इस किस्म का आलू जल्दी नहीं सड़ेगा. ऐसे में आप इसे घर के अंदर लंबे समय तक स्टोर कर सकते हैं.
कुफरी चिप्सोना: कृषि वैज्ञानिकों ने कुफरी चिप्सोना किस्म को हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जलवायु को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है. यानी अगर इन राज्यों के किसान इस किस्म की खेती करते हैं, तो उन्हें बंपर पैदावार मिलेगी. अगर कुफरी चिप्सोना की खासियत के बारे में बात करें, तो यह 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाता है. यानी बुवाई करने के 100 दिनों के अंदर आप इसकी उपज ले सकते हैं. वहीं, इसकी पैदावार 35 टन प्रति हेक्टेयर है. यह सफेद कलर का होता है और इसे भी लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल चिप्स बनाने में किया जाता है. इस किस्म में तुषार रोग से लड़ने की शक्ति अधिक होती है.
कुफरी जमुनिया: इसी तरह कुफरी जमुनिया किस्म को वैज्ञानिकों ने बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और पंजाब की मिट्टी व मौसम को ध्यान में रखते हुए इजाद किया है. यह किस्म भी 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 35 टन प्रति हेक्टेयर तक है. इस आलू में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसका भी भंडारण करना आसान है. खास बात यह है कि इस आलू का मार्केट में रेट भी दूसरे के मुकाबले ज्यादा होता है. ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करते हैं, तो उन्हें बंपर कमाई होगी.