Onion price fall: एक दिन में 18 फीसदी गिरकर 700 रुपये क्विंटल हुआ प्याज, नाराज किसानों ने रोकी नीलामी

प्याज की औसत थोक कीमतें उत्पादन लागत से कम हैं. ऐसे में प्याज किसान गोरख संत ने कहा कि वे चाहते हैं कि केंद्र तुरंत निर्यात शुल्क वापस ले. उन्होंने कहा कि सरकार को प्याज किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान देना चाहिए.

नासिक मंडी में बहुत सस्ता हुआ प्याज. Image Credit: Freepik

प्याज की कीमतों में अचानक गिरावट शुरू हो गई है. शनिवार को नासिक के लासलगांव मंडी में प्याज की न्यूनतम और अधिकतम थोक कीमतें क्रमश 700 रुपये और 2,201 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गईं. इससे किसानों में काफी गुस्सा है. नाराज किसानों ने नासिक जिले के येओला कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की नीलामी को लगभग आधे घंटे तक रोक दिया. साथ ही गुस्साए किसानों ने येओला-मनमाड रोड पर एक घंटे तक रास्ता रोको प्रदर्शन भी किया, जिससे सड़क पर यातायात जाम हो गया. हालांकि, एपीएमसी अधिकारियों से बातचीत के बाद आंदोलनकारी किसान मान गए. इसके बाद नीलामी फिर से शुरू हो गई.

तीन दिनों में यह दूसरी बार है जब किसानों ने जिले में विरोध प्रदर्शन किया है. इससे पहले, प्याज किसानों ने 19 दिसंबर को लासलगांव एपीएमसी में प्रदर्शन किया था और प्याज की नीलामी रोक दी थी. येओला एपीएमसी में पिछले चार हफ्तों में औसत थोक प्याज की कीमतों में 70 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 25 नवंबर को प्याज का रेट 5,252 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन 21 दिसंबर को इसका भाव गिरकर 1,500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया. ऐसे में किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो गया है.

निर्यात शुल्क वापस ले सरकार

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डिंडोरी के सांसद भास्कर भगारे समेत नासिक क्षेत्र के सांसदों ने शुक्रवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की और उनसे प्याज पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क वापस लेने का अनुरोध किया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन भी दिया. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे सभी प्याज उत्पादक राज्यों में ताजा खरीफ प्याज की आपूर्ति में वृद्धि हुई है. दिघोले ने कहा कि थोक बाजारों में प्याज की बढ़ती आवक से थोक कीमतों में और गिरावट आ सकती है. मांग बढ़ाने और थोक कीमतों को स्थिर करने के लिए प्याज के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क वापस लेने की जरूरत है. ऐसे में केंद्र को तुरंत फैसला लेना चाहिए.

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2,000 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान की मांग

प्याज किसान गोरख संत ने कहा कि वे चाहते हैं कि केंद्र तुरंत निर्यात शुल्क वापस ले. उन्होंने कहा कि सरकार को प्याज किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान देना चाहिए. प्याज की खेती करने वाले किसान निवृत्ति न्याहारकर ने बताया कि प्याज उत्पादन की लागत करीब 1,800 रुपये प्रति क्विंटल है और इससे कम कीमत मिलने पर किसानों को घाटा होता है.

प्याज की कीमतों में गिरावट

फिलहाल, प्याज की औसत थोक कीमतें पहले से ही उत्पादन लागत से कम हैं. इस बीच, लासलगांव एपीएमसी में प्याज की औसत थोक कीमत एक दिन में 18 फीसदी गिर गई . शुक्रवार (20 दिसंबर) को 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से शनिवार (21 दिसंबर) को 1,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई. लासलगांव में शनिवार को प्याज की न्यूनतम और अधिकतम थोक कीमतें क्रमश 700 रुपये और 2,201 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गईं.

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