पंजाब में इस बार 1 जून से शुरू होगी धान की रोपाई, सरकार ने राज्य को 4 जोन में बांटा

पंजाब में इस साल 1 जून से धान की रोपाई शुरू होगी. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह फैसला अक्टूबर में फसल की नमी की समस्या से बचने के लिए लिया गया है. सरकार नकली बीजों की बिक्री रोकने और पराली जलाने की समस्या हल करने के लिए 500 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी.

पंजाब में धान की खेती. Image Credit: @tv9

Paddy cultivation: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को घोषणा की कि इस साल राज्य में धान की रोपाई 1 जून से शुरू होगी. उन्होंने का कि यह फैसला इसलिए लिया गया है, ताकि अक्टूबर में फसल कटाई के समय ज्यादा नमी के कारण किसानों को फसल बेचने में कोई दिक्कत न हो. ऐसे भी पंजाब देश के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में से एक है. यहां पर किसान बड़े स्तर पर बासमती धान की खेती करते हैं.

पीटीआई के मुताबिक, पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि पंजाब में इस साल धान की खेती जोन-वाइज की जाएगी. इसके लिए सरकार जरूरी योजना और तैयारियां कर रही है. उन्होंने कहा कि हमने 1 जून से धान की रोपाई शुरू करने का फैसला लिया है. इसके तहत राज्य को चार जोन में बांटकर धान की रोपाई कराई जाएगी.

10 जून से शुरू होती थी धान की रोपाई

हालांकि, पहले पंजाब में धान की रोपाई 10 जून के बाद शुरू होती थी, लेकिन इस बार इसे 1 जून से शुरू किया जाएगा. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सरकार नकली बीजों की बिक्री रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. अगर नकली बीज बेचते हुए कोई पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

500 करोड़ रुपये का प्रावधान

बता दें कि पंजाब सरकार धान की खेती को लेकर काफी गंभीर है. यही वजह है कि उसने फसल अवशेष यानी पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए 2025-26 के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यह राशि किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) और ग्राम पंचायतों को सब्सिडी देने के लिए रखी गई है.

मशीनरी खरीद पर सब्सिडी

सरकार इस फंड का इस्तेमाल फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनरी पर सब्सिडी, कस्टमर हायरिंग सेंटर और फसल अवशेष सप्लाई चेन सेंटर स्थापित करने में करेगी. इसमें से 60 करोड़ रुपये अवशेष आधारित बॉयलर को बढ़ावा देने के लिए रखे गए हैं. इससे 30 लाख एकड़ में पैदा होने वाले फसल अवशेषों का सही उपयोग किया जा सकेगा, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और वायु प्रदूषण नियंत्रित होगा.