इस राज्य में 21 नवंबर से शुरू होगी धान की खरीद, 800 रुपये क्विंटल मिलेगा बोनस
पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में धान की खरीद बहुत पहले ही शुरू हो गई है. लेकिन कई राज्यों में अभी धान खरीद शुरू करने की तैयारी ही चल रही है. पंजाब में तो 100 लाख टन से ज्यादा धान खरीदा जा चुका है.
ओडिशा सरकार ने बरगढ़ जिले में 21 नवंबर से धान की खरीद शुरू करने का फैसला लिया है. इसको लेकर जिले की सभी खरीद मंडियों में तैयारियां कर ली गई हैं. खास बात यह है कि राज्य में बीजेपी सरकार के लिए धान खरीद का यह पहला सत्र होगा. बीजेपी सरकार ने राज्य में इस साल किसानों को 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने का फैसला किया है. यानी इस साल किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा.
वहीं, उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव की अध्यक्षता में सोमवार को एक बैठक हुई. इस बैठक में पांच सदस्यीय मंत्री स्तरीय उप-समिति ने खरीद के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया. राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने बैठक के बाद कहा कि भाजपा सरकार एक और इतिहास रचने जा रही है. केंद्र द्वारा घोषित 2,300 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को 800 रुपये प्रति क्विंटल धान की अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाएगी. राजस्व मंत्री कहा कि 21 नवंबर से जिले में धान की खरीद शुरू हो जाएगी.
एक पर्यवेक्षक पांच मंडियों का होगा प्रभारी
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुजारी ने कहा कि धान खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया कि अधिकृत अधिकारी प्रक्रिया पूरी होने तक मंडियों में मौजूद रहेंगे. वे एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से दैनिक आधार पर सरकार को रिपोर्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि एक पर्यवेक्षक चार से पांच मंडियों का प्रभारी होगा. प्रत्येक मंडी में एक गुणवत्ता परीक्षण मशीन होगी, ताकि धान की उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) का सही तरीके से आकलन किया जा सके. इससे ‘कटनी चटनी’ की अनैतिक प्रथा समाप्त हो जाएगी. साथ ही परिवहन विभाग मंडियों से चावल मिलों तक धान परिवहन का निरीक्षण करेगा.
किसानों को मिलेंगी ये सुविधाएं
सवालों के जवाब में पुजारी ने कहा कि सीमावर्ती जिलों में महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पड़ोसी राज्यों से धान मंडियों में बिक्री के लिए न लाया जाए. सीमावर्ती जिलों में गश्त बढ़ाई जाएगी और कलेक्टरों को इस संबंध में उचित कदम उठाने को कहा गया है. पहले किसानों को अपने टोकन के नवीनीकरण के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था. अब जिला कलेक्टरों को समाप्त हो चुके टोकन के नवीनीकरण का अधिकार दिया गया है.