गेहूं के खेत में तना छेदक कीट का हमला, फसल को बचाने के लिए तुरंत करें ये उपाय

संगरूर के मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) हरबंस सिंह ने कहा कि इस बार धान की कटाई में देरी हुई और इस महीने की शुरुआत में धान की बुवाई के समय दिन का तापमान थोड़ा अधिक था. अब तक जिले में 90 फीसदी गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है.

गेहूं की फसल में लगी नई बीमारी. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: Wheat Crop

पंजाब में धान कटाई करने के बाद कई जिलों में किसानों ने गेहूं की बुवाई भी कर दी है. लेकिन इसके साथ ही गेहूं की फसल पर कीटों के हमले भी शुरू हो गए हैं. किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल पर गुलाबी तना छेदक के हमले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. खास बात यह है कि जिन खेतों में पराली को नहीं जलाया गया था, उसमें कुछ ज्यादा ही कीटों के हमले हो रहे हैं. हालांकि, इसके लिए कृषि एक्सपर्ट खराब मौसम को जिम्मेदार मान रहे हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संगरूर जिले के कुछ गांवों में कीटों के हमले से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है. वहीं, कृषि विभाग ने भी प्रभावित खेतों का दौरा कर गुलाबी तना छेदक की मौजूदगी की पुष्टि की है. घाबदान गांव में किसान तेजिंदर पाल सिंह की 10 एकड़ जमीन पर 50 फीसदी कीट का हमला हुआ, जबकि किसान जगवीर सिंह की 2 एकड़ जमीन पर 10 फीसदी कीट का हमला हुआ. भिंडरा गांव में किसान हरजीत सिंह ने अपनी 5 एकड़ जमीन पर 5 प्रतिशत कीट के हमले की शिकायत की है.

किसान फिर से करेंगे बुवाई

वहीं, कुछ किसानों ने कहा कि वे अपने खेतों की जुताई कर फिर से गेहूं की बुवाई करने पर विचार कर रहे हैं. जबकि कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि अगर किसान गेहूं के पौधों के कीट के हमले से उबरने का इंतजार करते हैं, तो इसके चलते गेहूं की कटाई में देरी हो सकती है. संगरूर के भट्टीवाल कलां गांव के किसान गगनदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने सुपर सीडर का इस्तेमाल करके धान की पराली का इन-सीटू ट्रीटमेंट किया था, जिसमें से 11 एकड़ में से 3 एकड़ पर कीटों का हमला देखा गया.

90 फीसदी गेहूं की बुवाई पूरी

संगरूर के मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) हरबंस सिंह ने कहा कि इस बार धान की कटाई में देरी हुई और इस महीने की शुरुआत में धान की बुवाई के समय दिन का तापमान थोड़ा अधिक था. अब तक जिले में 90 फीसदी गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि मौसम की स्थिति कीटों के लिए अनुकूल थी, जो धान से नई बोई गई गेहूं की फसल में आ गए. उन्होंने कहा कि यह एक अस्थायी समस्या है और किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. तापमान में फिर से गिरावट आने पर कीट निष्क्रिय हो जाएंगे. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि तना छेदक के प्रकोप को रोकने के लिए किसान 1 लीटर ड्रसबन 20 ईसी. (क्लोरपाइरीफोस) को 20 किलोग्राम साइलेज मिट्टी में मिला दें. फिर सिंचाई से पहले 20 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें. इससे कीटों के महले रूक जाते हैं. साथ ही अन्य रसायनों का छिड़काव करने के बाद ही खेतों की सिंचाई करें. इससे गेहूं का अंकुरण सही होता है.

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अधिकारियों ने खारिज किया दावा

कृषि अधिकारी ने हालांकि किसानों के इस दावे को खारिज कर दिया कि कीटों का हमला उन खेतों तक ही सीमित था, जहां किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) उपकरणों का उपयोग करके धान की पराली का निपटान किया था. उन्होंने कहा कि धान की कटाई में देरी के कारण किसान सीजन के अंत में कीटों से छुटकारा पाने के लिए अपने खेतों में छिड़काव नहीं कर सके और बाद में मौसम की स्थिति अनुकूल होने के कारण वे गेहूं की फसल पर सक्रिय हो गए. पिछले साल भी दिसंबर में बठिंडा जिले के कुछ हिस्सों में गुलाबी तना छेदक का हमला देखा गया था और विशेषज्ञों ने बताया था कि पिछले धान सीजन के लार्वा या अंडे मौसम की स्थिति के कारण सक्रिय हो गए थे.

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