Pulses Inflation: साल 2023 से महंगी हैं दालें, आखिर कीमतों में कब आएगी गिरावट

एक साल के अंदर देश में 2.5 मिलियन टन ड्यूटी फ्री पीली मटर का आयात किया गया है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया से भारी मात्रा में काबुली चने का आयात किया जा रहा है. 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में चना उत्पादन में गिरावट आई. इससे सालाना आधार पर चने का उत्पादन 11.03 मिलियन टन रह गया.

दाल और अनाजों की खपत में आई गिरावट. Image Credit: GettyImages

दालें साल 2023 से ही लगातार महंगी हैं. होलसेल रेट में गिरावट आने के बाद भी रिटेल मार्केट में दालें सस्ती नहीं हो रही हैं. उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, तुअर, उड़द और चना की मॉडल खुदरा कीमतें सोमवार को क्रमश: 160 रुपये किलो, 120 रुपये किलो और 90 रुपये किलो दर्ज की गईं. खास बात यह कि दालों की कीमतों में पिछले तीन महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में विभाग ने खुदरा विक्रेताओं से होलसेल दरों में गिरावट के अनुरूप दालों की कीमतों को कम करने का आग्रह किया है.

अधिकारियों ने कहा कि होलसेल मार्केट्स में पिछले दो महीने के अंदर तुअर, मसूर, चना, मूंग, पीली मटर और उड़द की कीमतों में 5 से 20 फीसदी की गिरावट आई. लेकिन इसके बावजूद भी रिटेल मार्केट में दालों की कीमतों में कोई गिरावट नहीं आई. हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में रिटेल मार्केट में भी दालों की कीमतें कम हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इस साल दलहन के बंपर उत्पादन की उम्मीद है. ऐसे में नई आवक के चलते तुअर, अरहर और उड़द की मंडी कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है.

ड्यूटी फ्री पीली मटर का आयात

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल के अंदर देश में 2.5 मिलियन टन ड्यूटी फ्री पीली मटर का आयात किया गया है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया से भारी मात्रा में काबुली चने का आयात किया जा रहा है. 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में चना उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट आई. इससे सालाना आधार पर चने का उत्पादन 11.03 मिलियन टन रह गया. ऐसे भी प्रतिकूल मौसम के चलते देश के कुल दाल उत्पादन 7 फीसदी घटकर 24.24 मिलियन टन रह गया.

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दलहन में चने की हिस्सेदारी 50 फीसदी

अधिकारियों ने कहा कि देश के दलहन उत्पादन में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले चने की बुवाई काफी हद तक पूरी हो चुकी है, लेकिन कटाई मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत से शुरू होगी. साल 2023-24 के फसल वर्ष में चना, तुअर और उड़द जैसी प्रमुख किस्मों के कम उत्पादन के कारण दालों में खुदरा महंगाई जून, 2023 से दोहरे अंकों में रही है. हालांकि, पिछले कुछ महीनों से होलसेल कीमतों में नरमी आनी शुरू हुई है.

एमएसपी पर खरीद बढ़ानी होगी

महाराष्ट्र के लातूर स्थित दाल प्रोसेसर कलांत्री फूड प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक नितिन कलांत्री ने कहा कि कुल मिलाकर तुअर की फसल की संभावनाएं मजबूत दिख रही हैं. सरकार को दो साल के अंतराल के बाद एमएसपी पर खरीद बढ़ानी होगी, जब कीमतें एमएसपी से काफी ऊपर लगभग 100 रुपये प्रति किलो पर थीं. साल 2022-23 और 2023-24 में कम उत्पादन के कारण कीमतें एमएसपी से कम से कम 30 फीसदी अधिक होने के कारण नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियां ​​किसानों से तुअर दाल नहीं खरीद सकीं, लेकिन इस साल फसल की संभावनाएं आशाजनक हैं, जिससे कीमतें पहले ही 7500-7700 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं. जबकि इस साल एमएसपी 7550 रुपये प्रति क्विंटल है.

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