26 जनवरी को सड़कों पर उतरेंगे किसान? SKM ने ट्रैक्टर मार्च निकालने का किया आह्वान

संयुक्त किसान मोर्चा 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया है. उसने 76वें गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में जिला/उप-मंडल स्तर पर ट्रैक्टर/वाहन/मोटरसाइकिल परेड आयोजित करने का आह्वान किया है. वही, सोमवार यानी 13 जनवरी को खनौरी के पास किसानों की एक बैठक होगी.

किसानों की सोमवार को होगी बैठक. Image Credit: tv9

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया और मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की लंबित मांगों पर उनसे चर्चा करें. एसकेएम का यह आह्वान किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है, जो 48 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक दल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर किसानों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं.

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि एसकेएम ने किसानों से 26 जनवरी 2025 को 76वें गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में जिला/उप-मंडल स्तर पर ट्रैक्टर/वाहन/मोटरसाइकिल परेड आयोजित करने का आह्वान किया है. एसकेएम ने कहा कि किसान मांग करेंगे कि प्रधानमंत्री तुरंत सभी किसान संगठनों के साथ संघर्ष पर चर्चा करें और जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाएं. साथ ही किसान विरोधी संघीय सरकार विरोधी एनपीएफएएम को तुरंत वापस लें और कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ सी2+50 प्रतिशत पर एमएसपी के लिए कानून बनाएं.

ये भी पढ़ें- Budget 2025: किसानों को मिलेगी बड़ी सौगात, KCC पर सरकार कर रही है बड़ी तैयारी!

ये हैं किसानों की मांगें

पीटीआई के मुताबिक, मांगों में किसानों और खेत मजदूरों के लिए एक व्यापक ऋण माफी योजना, बिजली का निजीकरण न करना, स्मार्ट मीटर न लगाना, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का प्रावधान और एलएआरआर अधिनियम 2013 को लागू करना आदि शामिल हैं. एसकेएम की सभी राज्य समन्वय समितियां (एससीसी) एनपीएफएएम की प्रतियां जलाकर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान करेंगी. एसकेएम ने कहा कि किसान संगठनों से चर्चा करने और किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के जीवन की रक्षा करने के लिए तैयार नहीं होने के लिए एसकेएम ने प्रधानमंत्री के सत्तावादी, असंवेदनशील रवैये की कड़ी निंदा की.

छत्र निकाय भी हुआ सक्रिय

किसान संगठनों के छत्र निकाय, जिसने अब रद्द किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसान विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट और भारत के राष्ट्रपति “किसान नेता के जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप करने में असहाय हो गए हैं, जबकि उनका आमरण अनशन 46 दिनों से अधिक हो गया है. उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अड़ियल रुख के कारण है, जो लालची कॉरपोरेट ताकतों के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं, जो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करके और युवाओं के लिए उत्पादक रोजगार को नष्ट करके कृषि, उद्योग और सेवाओं पर अपना प्रभुत्व थोपने पर तुले हुए हैं.

13 जनवरी को बैठक

उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट समर्थक सुधारों की एक श्रृंखला के माध्यम से कॉर्पोरेट हमले के कारण लोगों की आजीविका दांव पर है, जिसमें नवीनतम कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचा है, जो भारतीय संघ के संघीय ढांचे को चुनौती देता है, जो भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों में से एक है. उन्होंने आगे घोषणा की कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के साथ एसकेएम की एक समन्वय बैठक 13 जनवरी को खनौरी के पास एक शहर पाट्रान में आयोजित की जाएगी.

ये भी पढ़ें- महिलाओं के सम्मान में सरकार चला रही ये खास योजनाएं, हर महीने मिलते हैं 2500 रुपये