1341 टन प्याज लेकर दिल्ली पहुंची स्पेशल ट्रेन, अब कीमतों में जल्द शुरू होगी गिरावट?

दिल्ली में प्याज जल्द ही सस्ता हो सकता है. क्योंकि 1341 टन प्याज लेकर स्पेशल ट्रेन दिल्ली पहुंच गई है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि रिटेल मार्केट में प्याज की आवक बढ़ने से कीमतों में जल्द ही गिरावट शुरू हो सकती है.

दिल्ली में कब सस्ता होगा प्याज. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: tv9

राष्ट्रीय राजधानी में जल्द ही प्याज की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद बढ़ गई है. क्योंकि सैकड़ों टन प्याज की नई खेप लेकर प्याज एक्सप्रेस दिल्ली पहुंच गई है. आने वाले दिनों में मार्केट के अंदर प्याज का आवक बढ़ने वाला है. इससे कीमतों में गिरावट शुरू हो सकती है. उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने एएनआई को बताया कि नासिक से एक विशेष मालगाड़ी में करीब 1,341 टन प्याज दिल्ली पहुंचा है.

उन्होंने कहा कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ट्रेन से प्याज की सप्लाई कर रही है. इससे ट्रक के मुकाले समय की बचत हो रही है. साथ ही एक साथ बड़े स्तर पर प्याज दिल्ली पहुंच रहा है. हिमांशु शेखर ने कहा कि ट्रेन से प्याज की सप्लाई शुरू करने पर किसानों को भी फायदा हो रहा है. रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर प्याज की उपलब्धता भारतीय उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होगी. उन्होंने कहा कि प्याज ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए हैं, क्योंकि कई शहरों में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे ग्राहक परेशान हैं.

दो दिनों में आएगी एक और स्पेशल ट्रेन

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि करीब 1,341 टन प्याज लेकर एक और प्याज एक्सप्रेस तैयार है और अगले दो दिनों में इसके दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है. इससे पहले, उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसी प्याज एक्सप्रेस ट्रेनें गुवाहाटी और चेन्नई भी पहुंच चुकी हैं. भारत ने प्याज के सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सितंबर में प्याज पर लगाए गए न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटा दिया था.

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प्याज के निर्यात पर लगा दिया था प्रतिबंध

भारत ने दिसंबर 2023 की शुरुआत में मार्च 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में, इसने अगले आदेश तक निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया. अप्रैल-जून के दौरान काटी गई रबी प्याज भारत के प्याज उत्पादन का 65 प्रतिशत है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई तक उपभोक्ता की मांग को पूरा करती है. सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा किसी भी आपात स्थिति से निपटने और कम आपूर्ति के मौसम में कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होने पर मूल्य स्थिरीकरण के लिए बफर स्टॉक बनाए रखा जाता है.

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