1 महीने में चीनी के दाम 6.5% बढ़े, आगे और बढ़ेगी कीमतें; प्रोडक्शन में भारी कमी
चीनी की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि घरेलू उत्पादन कम होने की आशंका है. पिछले एक महीने में चीनी के दाम 6.5% बढ़ चुके हैं और आगे भी बढ़ने की संभावना है. खराब मौसम और दो साल बाद चीनी एक्सपोर्ट दोबारा शुरू होने की वजह से उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा है.
Sugar Price: हाल में आए महंगाई के आंकड़े भले ही कम हुए लेकिन खाने के तेल के दाम के बाद अब चीनी की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं. पिछले एक महीने में चीनी के दाम 6.5 फीसदी बढ़ चुके हैं और आगे भी बढ़ने की संभावना है क्योंकि इस बार घरेलू उत्पादन उम्मीद से कम रहने वाला है. 15 फरवरी तक भारत में साल-दर-साल चीनी उत्पादन 12% कम रहा है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री का अनुमान है कि खराब मौसम और दो साल बाद चीनी एक्सपोर्ट दोबारा शुरू होने की वजह से उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा है.
व्यापारिक आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में S-30 ग्रेड की चीनी (जो सबसे छोटी और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली ग्रेड है) की एक्स-मिल कीमत 17 फरवरी को ₹3790 प्रति क्विंटल हो गई, जबकि एक महीने पहले यह ₹3565 थी और दो महीने पहले ₹3380 थी. इस तरह, चीनी की कीमतें एक साल में 6.3% और पिछले दो महीनों में 12% तक बढ़ गई हैं.
चीनी मिलें आमतौर पर अक्टूबर से मई या जून तक 4 से 6 महीने तक चलती हैं, लेकिन इस बार गन्ने की कमी के कारण कई मिलें जल्दी बंद हो रही हैं.
इस साल सिर्फ 454 चीनी मिलों ने पेराई का काम शुरू किया, जबकि पिछले साल 505 मिलें चालू थीं. 15 फरवरी तक 77 मिलें बंद हो चुकी थीं, जबकि पिछले साल इसी तारीख तक सिर्फ 28 मिलें बंद हुई थीं. यानी इस साल 15 फरवरी तक सिर्फ 377 मिलें चल रही थीं, जबकि पिछले साल इसी समय 477 मिलें काम कर रही थीं.
भारतीय चीनी बाजार में सख्ती देखने को मिल सकती है क्योंकि देश में उत्पादन उम्मीद से कम रहने के कारण चीनी की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है. भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, इस बार कम उत्पादन के चलते कीमतों में और बढ़ोतरी देख सकता है.
कितना घटेगा चीनी का उत्पादन
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन में भारत का चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन तक गिर सकता है. उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, वहां फसल में बीमारी फैलने के कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. यह अनुमान दुबई में हुई शुगर कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया गया था. यह उत्पादन आंकड़ा उद्योग के अन्य अनुमानों से करीब 10 लाख टन कम है.
सरकार ने इस साल जनवरी में मिलों को 10 लाख टन तक चीनी एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी थी. इससे पहले, एक साल से ज्यादा समय तक एक्सपोर्ट पर सख्त प्रतिबंध लगे हुए थे. हालांकि, एक्सपोर्ट की रफ्तार अभी धीमी बनी हुई है क्योंकि मिल मालिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में और बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं.