अदरक नाम सुनकर मसाला समझा क्या, अब मिल गया नया नाम और पहचान
सुरसा अदरक की एक गैर तीखी किस्म है. इसमें बेहतरीन ऑर्गेनोलेप्टिक गुण पाए जाते हैं. इससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है. अगर किसान वैज्ञानिक विधि से इसकी खेती करते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 24.33 टन तक उपज मिलने की उम्मीद है.
आईसीएआर- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान ने अदरक की एक नई किस्म जारी की है. उसने व्यावसायिक उपयोग के लिए अदरक की इस नई किस्म को विकसित किया है. खास बात यह है कि वैज्ञानिकों ने अदरक की इस किस्म को सब्जी के कैटेगरी में रखा है. हालांकि, अभी तक अदरक मसाले की श्रेणी में आता था. संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि अदरक की इस किस्म के आने से पैदावार में बढ़ोतरी होगी. इससे किसानों की इनकन में भी इजाफा होगा. खास बात यह है कि वैज्ञानिकों ने अदरक की इस नई किस्म का नाम IISR सुरसा रखा है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरसा अदरक की एक गैर तीखी किस्म है. इसमें बेहतरीन ऑर्गेनोलेप्टिक गुण पाए जाते हैं. इससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है. अगर किसान वैज्ञानिक विधि से इसकी खेती करते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 24.33 टन तक उपज मिलने की उम्मीद है. खास बात यह है कि यह भारत में पहली अदरक की किस्म है जिसे विशेष रूप से सब्जी के रूप में उपयोग के लिए विकसित किया गया है.
इन राज्यों में किए गए परीक्षण
शोधकर्ताओं ने कोझिकोड के कोडंचेरी में एक किसान जॉन जोसेफ से इस किस्म के अदरक की खोज की. उनकी सहमति से IISR के वैज्ञानिकों की टीम ने छह वर्षों में इस किस्म पर लगातार शोध और परीक्षण किए. इस किस्म पर परीक्षण केरल, नागालैंड और ओडिशा के क्षेत्रों में किए गए हैं. बड़ी बात यह है कि सभी राज्यों में परिक्षण के दौरान अच्छे रिजल्ट मिले. यानी परीक्षण के दौरान बंपर उपज मिली. यही वजह है कि हाल ही में केरल राज्य वैरिएटल रिलीज़ कमेटी ने केरल में सुरसा की खेती के लिए इजाजत दी है.
सुरसा किस्म की खासियत
अगर सुरसा की खासियत की बात करें, तो इसके प्रकंद मोटे होते हैं. इसका कोर सफेद- पीले रंग का होता है. इसमें फाइबर की मात्रा कम होती है. इसकी शुष्क रिकवरी दर लगभग 21 प्रतिशत होती है, जो इसे ज़रूरत पड़ने पर सूखी अदरक बनाने के लिए भी आदर्श बनाती है. यह किस्म पॉलीबैग में उगाने के लिए भी आदर्श है.
इन वैज्ञानिकों ने किया विकसित
IISR के प्रधान वैज्ञानिक और सुरसा के प्रमुख शोधकर्ता सीके थंकमणि ने कहा कि किस्म के मोटे प्रकंद इसकी सबसे बड़ी खासियत है. व्यावसायिक खेती के लिए इसका इस्तेमाल सबसे उपयुक्त माना गया है. किसान मई से जून महीने के दौरान इसकी बुवाई कर सकते हैं. IISR सुरसा विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में एनके लीला, टीई शीजा, केएस कृष्णमूर्ति, डी प्रसाद, शेरोन अरविंद और एस मुकेश शंकर शामिल हैं.