मानसून ने भारतीय किसानों दी राहत, कृषि अर्थव्यवस्था में होगा सुधार
इस साल मानसून ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं. 2020 के बाद इस साल सबसे अधिक बारिश हुई है. अच्छी बारिश की वजह से फसलों की बुआई भी अच्छी हुई है, और उम्मीद की जा रही है कि इस बार पैदावार भी अच्छी होगी. साथ ही, सरकार ने चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को भी हटा लिया है.
इस साल मानसून ने किसानों को खुश कर दिया है. मानसून की बारिश में जबरदस्त वृद्धि हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, देश में 934.8 मिमी बारिश हुई है, जो लंबी अवधि के औसत (LPA) का 108% है. 2020 के बाद से इस बार मानसून में सबसे अधिक बारिश हुई है. इसकी वजह से किसानों के बीच उम्मीद जगी है और उनकी कमाई में बढ़ोतरी की संभावना है.
रबी और खरीफ की फसलों की पैदावार में होगी बढ़ोतरी
भारतीय मौसम विभाग ने मानसून सीजन से पहले ही भारी बारिश का अनुमान लगाया था. IMD ने 106% LPA की भविष्यवाणी की थी, लेकिन इस बार मानसून में 108% बारिश हुई. औसत से अधिक बारिश ने खरीफ की बुवाई में मदद की है, जो इस सीजन के लिए बहुत अच्छी खबर है. पिछले साल की तुलना में किसानों ने 1,108.57 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलें लगाई हैं, जो पिछले साल से 1.9% अधिक है. बुवाई के मामले में गन्ना, दलहन, तिलहन, बाजरा और धान जैसी फसलों में भी बढ़ोतरी हुई है.
देश भर में शानदार बारिश
मानसून के समय देश के अलग-अलग हिस्सों में शानदार बारिश हुई है. दक्षिणी और मध्य भारत में अधिकतम बारिश क्रमशः 114% और 119% के साथ दर्ज की गई. हालांकि जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश और पंजाब जैसे क्षेत्रों में ज्यादा बारिश नहीं हुई, वहीं उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में क्रमशः 107% और 86% बारिश हुई. मानसून की शुरुआत हल्की बारिश के साथ जून में हुई थी, और यह धीरे-धीरे जुलाई, अगस्त और सितंबर में बढ़ गई.
सरकार की निर्यात नीति
सरकार ने बेहतर मानसून के कारण चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं. बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को वापस ले लिया गया है, और उबले चावल पर निर्यात शुल्क को आधा कर दिया गया है. हालांकि कुछ जगहों पर अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ की समस्या हो गई है, लेकिन ज्यादा बारिश की वजह से मिट्टी में नमी बढ़ी है, और उम्मीद की जा रही है कि रबी की बुआई में भी इसका लाभ मिलेगा.