गेहूं- आलू के खेत में इस फसल की करें बुवाई, सुगंध से दूर भागेंगी नीलगाय, साथ में एक्स्ट्रा कमाई भी
कुसुम की बुवाई करने से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है. बीज का उपचार करने के लिए किसान फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए 20 ग्राम दवा को 10 किलो बीज पर स्प्रे करें. फिर बीज पर पानी का छिड़काव करें. खास बात यह है कि बुवाई करने से चार घंटा पहले ही बीज का उपचार करें.
धान की कटाई करने के बाद कई राज्यों में किसानों ने गेहूं और आलू की बुवाई शुरू कर दी है. एक महीने में इन फसलों की अच्छी-खासी ग्रोथ हो जाएगी. लेकिन इसके साथ ही नीलगाय से गेहूं और आलू का खतरा भी बढ़ जाएगा. खास कर दिसंबर से जनवरी तक गेहूं और आलू की फसल को नीलगाय से ज्यादा खतरा रहता है. झुंड में आकर ये नीलगाय फसलों को कुछ घंटों में चट कर जाती हैं. इससे किसानों का काफी अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को नीलगाय से होने वाले नुकसान को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. बहुत ही कम खर्चे में अब फसलों को नीलगाय से बचाया जा सकता है. इसके लिए किसानों को धान और आलू के खेत में एक खास तरह की फसल की बुवाई करनी होगी. इसकी सुगंध से नीलगाय खेत में नहीं आएंगी.
एक्सपर्ट के मुताबिक, नीलगाय हर साल हजारों एकड़ में लगी फसल को बर्बाद कर देती हैं. इससे करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. अगर किसान चाहें तो गेहूं और आलू के खेत में कुसुम की बुवाई कर सकते हैं. क्योंकि कुसुम की महक से नीलगाय दूर भागती हैं. इससे फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. खास बात यह है कि कुसुम की खेती में लागत भी बहुत कम आती है. किसान कम खर्चे में ही इसे उगा सकते हैं.
कुसुम की फसल को क्यों नहीं खाती हैं नीलगाय
दरअसल, कुसुम एक तरह की तिलहन फसल है. इस फसल के अंकुरण के बाद इसमें कांटे निकल आते हैं. इसके चलते नीलगाय इसे खाने से बचती हैं. साथ ही नीलगाय को कुसुम के पौधों से निकलने वाली गंध भी पसंद नहीं है. ऐसे में वे इस गंध के चलते दूर से भाग जाती हैं. कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर किसान आलू और गेहूं के खेत की मेड़ पर कुसुम की बुवाई करते हैं, तो उनकी फसल को नीलगाय बर्बाद नहीं करेंगी. साथ ही किसानों को एक साथ दो फसल भी मिल जाएगी.
बुवाई करने से पहले बीज का करें उपचार
खास बात यह है कि कुसुम की बुवाई करने से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है. बीज का उपचार करने के लिए किसान फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए 20 ग्राम दवा को 10 किलो बीज पर स्प्रे करें. फिर बीज पर पानी का छिड़काव करें. इसके बाद बीज को अच्छी तरह से मिला दें. वुवाई करने से 4 घंटा पहले ही बीज का उपचार करें. इससे फसल में रोग लगने की संभावना कम हो जाती है. ऐसे कुसुम की फसल 120 दिनों में तैयार हो जाती है. इस तरह आप गेहूं- आलू के खेत में कुसुम की बुवाई करने पर फसल को नीलगाय से बचाने के साथ-साथ एक्स्ट्रा कमाई भी कर सकते हैं.