MSP से बहुत ज्यादा हुआ तुअर का भाव, जानें देश की टॉप मंडियों में अभी कितना है रेट

सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए तुअर के लिए ₹7,550 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था. इस खरीफ फसल सीजन में तुअर की खेती का रकबा पिछले साल के 40.74 लाख हेक्टेयर से 14 प्रतिशत बढ़कर 46.50 लाख हेक्टेयर (एलएच) हो गया है

महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में तुअर की कटाई शुरू हो गई है. Image Credit: tv9

महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ इलाकों में किसानों ने तुअर की नई फसल की कटाई शुरू कर दी है. इसके साथ ही मंडियों में तुअर की आवक भी होने लगी है. हालांकि, कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ हफ्तों में इसकी कटाई में और तेजी आएगी. ऐसे में तुअर दाल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद जग गई है. इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) की मार्केट अपडेट रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के दुधानी और सोलापुर जैसे बाजारों में नई तुअर की कीमतें ₹9,300 से ₹10,600 प्रति क्विंटल के बीच हैं, जबकि कर्नाटक के कलबुर्गी में यह ₹10,950 के स्तर पर और रायचूर में ₹10,365 से ₹10,551 के बीच कारोबार रही हैं.

तेलंगाना के नारायणपेठ में तुअर की नई कीमतें ₹10,900-11,251 के स्तर पर हैं, जबकि तंदूर में यह ₹10,035-10,431 के स्तर पर चल रही हैं. बीदर में पुरानी तुअर की कीमतें ₹8,519-8,836 और कलबुर्गी में ₹10,000-10,862 के स्तर पर चल रही हैं, जबकि महाराष्ट्र की अकोला और अमरावती मंडियों में यह ₹9,500-₹10,400 के बीच चल रही हैं. चेन्नई में आयातित नींबू तुअर ₹9,500-9,550 के स्तर पर चल रही है.

तुअर का कितना है एमएसपी

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए तुअर के लिए ₹7,550 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था. आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि विभिन्न राज्यों से नागरिक आपूर्ति निगम की मांग के कारण देसी तुअर की मांग अधिक है. मिलर्स के पास अच्छा स्टॉक उपलब्ध नहीं है और वे अपनी मिलों को चलाने के लिए नई फसल का इंतजार कर रहे हैं. चौहान ने कहा कि कुल मिलाकर, फसल अच्छी स्थिति में है. जब सही नमी के स्तर वाली फसल निकलेगी, तो मिलर्स खरीद लेंगे. उन्होंने कहा कि कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि मंडियों में कितनी फसल आती है. लेकिन ऐसा लगता है कि मिलर्स द्वारा खरीद से कीमतें नियंत्रित रहेंगी.

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तुअर दाल के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद

कर्नाटक रेड ग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहा कि मुख्य उत्पादक क्षेत्र कलबुर्गी जिले में कई जगहों पर फसल पकने की अवस्था में है, जबकि कुछ इलाकों में कटाई शुरू हो गई है. अगले कुछ हफ्तों में बड़े पैमाने पर कटाई शुरू होने की उम्मीद है. इस खरीफ फसल सीजन में तुअर की खेती का रकबा पिछले साल के 40.74 लाख हेक्टेयर से 14 प्रतिशत बढ़कर 46.50 लाख हेक्टेयर (एलएच) हो गया है, क्योंकि किसानों ने उच्च कीमतों के कारण रकबे का विस्तार किया है. पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, तुअर का उत्पादन पिछले साल के 34.17 लाख टन से थोड़ा बढ़कर 35.02 लाख टन होने का अनुमान है.

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