2 साल में पूरी तरह से ऑर्गेनिक राज्य हो जाएगा उत्तराखंड, जानें क्या है सरकार की तैयारी
भारत में करीब 40-42 हजार करोड़ रुपये का बीज बिकता है. इसमें गन्ना शामिल नहीं है. ऐसे पूरे विश्व में 5 लाख करोड़ रुपये का बीज कारोबार होता है. इसमें भारत का हिस्सा 10 प्रतिशत से भी कम है. हालांकि चीन के पास क्षेत्रफल कम होने के बावजूद हमसे ढ़ाई गुना अधिक आमदनी खेती से करता है, क्योंकि वह बेहतर बीज का प्रयोग करता है.
उत्तराखंड में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज पर लोन दे रही है. यही वजह है कि प्रदेश में ऑर्गेनिक फसलों का रकबा तेजी से बढ़ रहा है. अब उत्तराखंड के 95 में से 62 ब्लॉक ऑर्गेनिक हो चुके हैं. यानी 62 ब्लॉक में किसान फसल उगाने के लिए रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दो साल के अदंर उत्तराखंड पूरी तरह से ऑर्गेनिक राज्य हो जाएगा.
ऑर्गेनिक फार्मिंग के अलावा उत्तराखंड में कोऑपरेटिव सेक्टर के ऊपर भी तेजी से काम किया जा रहा है. रुरल वॉयस के कार्यक्रम में सहकारिता और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश में 12 लाख किसानों को बिना ब्याज के एक लाख से पांच लाख रुपये तक का कर्ज दिया गया है. लेकिन किसानों का एक भी कर्ज एनपीए नहीं बना है. उनके मुताबिक, राज्य में मॉडल साधन सहकारी समिति को तेजी से लागू किया जा रहा है. इसके किसानों को सीधा फायदा होगा.
10 साल में फसलों की 2900 किस्में विकसित
खास बात यह कि कोऑपरेटिव के जरिए किसानों की आर्थिक रूप से मदद भी की जा रही है, ताकि किसानों के हाथ में ज्यादा से ज्यादा पैसे पहुंचे, जिसका इस्तेमाल वे खेती-किसानी या कृषि से जुड़े बिजनेस में कर सकें. वहीं, खेती को उन्नत और किसानों की इनकम बढ़ाने में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) भी पीछे नहीं है. इसने पिछले 10 वर्षों में अलग-अलग फसलों की 2900 किस्में विकसित की हैं. इनमें 2600 से ज्यादा किस्में जलवायु अनुकूल हैं. यही वजह है कि देश में अनाज का उत्पादन बढ़ा है.
35 करोड़ टन हुआ अनाज का उत्पादन
आईएआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. एके सिंह का कहना है कि देश में अनाज का उत्पादन बढ़कर 33-35 करोड़ टन तक पहुंच गया है. उनके मुताबिक, चावल का उत्पादन 13 करोड़ टन और गेहूं का उत्पादन 11 करोड़ टन से अधिक है. इसमें सरकारी संस्थानों का भी योगदान है. उन्होंने कहा कि अब निजी क्षेत्र को दलहन, तिलहन में नई किस्में विकसित करनी चाहिए. इससे देश दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा.
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चीन से ज्यादा भारत में खेती की जमीन
एनसीईएल के प्रबंध निदेशक अनुपम कौशिक ने कहा कि देश में 14.1 करोड़ हेक्टेयर खेती करने योग्य जमीन है, जिन पर 14.7 करोड़ किसान परिवार खेती करते हैं. कुल कृषि उत्पादन करीब 430 अरब डॉलर का है. उन्होंने कहा कि चीन में भारत के मुकाबले खेती योग्य जमीन कम है. इसके बावजूद उनका कृषि उत्पादन 1.4 ट्रिलियन डॉलर का है. उन्होंने कहा कि किसानों और सरकारों की मदद से प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ी है. दरअसल, रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड्स समारोह में सहकारिता और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत सहित सभी लोगों ने ये बातें कहीं.
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