जिस कोदो के खाने से MP में हुई 10 हाथियों की मौत, जानें उसके फायदे और नुकसान

कोदो एक तरह का मोटा अनाज है. इसे गरीबों का चावल भी कहा जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 3000 साल से किसान कोदो की खेती कर रहे हैं. यानी यह फसल 3000 साल पुरानी है. यह सेहद के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.

क्या कोदो खाने से हेल्थ को नुकसान भी पहुंच सकता है. Image Credit: tv9

केंद्र सरकार मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए वह मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है. सरकार का मानना है कि मोटे अनाज का सेवन करने से शरीर को प्रयाप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे, जिससे इंसान स्वस्थ्य रहेगा. लेकिन मोटे अनाज खाने से मध्य प्रदेश में तीन दिन के अंदर 10 हाथियों की मौत हो गई है. इन हाथियों की मौत की वजह कोदो का सेवन माना जा रहा है. ऐसे में लोगों के मन में कोदो को लेकर संदेह हो रहा है. वहीं, नई पीढ़ी के युवा कोदो फसल के फायदे और नुकसान के बारे में सोशल मीडिया पर सर्च कर रहे हैं. ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर कोदो किसी तरह की फसल है और किन राज्यों में इसकी खेती होती है.

कोदो एक तरह का मोटा अनाज है. इसे गरीबों का चावल भी कहा जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 3000 साल से किसान कोदो की खेती कर रहे हैं. यानी यह फसल 3000 साल पुरानी है. यह सेहद के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. क्योंकि इसमें कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे कोदो में फाइबर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसका सेवन करने से पाचन क्रिया सही रहती है. खास बात यह है कि कोदो पीरियड्स के दौरान महिलाओं के लिए सुपरफूड की तरह काम करता है. कोदो का चावल खाने से बवासीर के मरीजों को काफी फायदा होता है. साथ ही यह डायबिटीज मरीजों के लिए भी लाभदायक है. चिकित्सकों के अनुसार, कोदो खाने से पेट दर्द में बहुत जल्द राहत मिलती है.

कोदो खाने के नुकसान

कोदो के फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी हैं. अगर आप कोदो का सेवन जरूरत से ज्यादा कर लेते हैं, तो कब्ज की समस्या भी हो सकती है. साथ ही आपको उल्टी भी होगी. बहुत बार तो कोदो का चावल ज्यादा खाने से बुखार भी लग जाता है. साथ ही इसका ज्यादा सेवन करने वाला इंसान बेहोशी का शिकार भी हो सकता है. इससे आप टेंशन में आ सकते हैं.

इन राज्यों में होती है कोदो की खेती

कोदो का पौधा देखने में धान की फसल की तरह ही लगता है. इसके पौधे की ऊंचाई 60 से 90 सेमी तक होती है. इसके बीज चावल के मुकाबले छोटे और चमकीले होते हैं. इसके दाने सफेद और गोल होते है. इसे अलग-अलग राज्यों में अलग- अलग नाम से जाना जाता है. ऐसे लोग इसे कोदरा, अरिकेलु और हरका नाम से भी जानते हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से में किसान कोदो की खेती करते हैं. भारत के अलावा विदेशों में भी इसकी खेती की जाती है. खास बात यह है कि कोदो की खेती कम उपजाऊ जमीन पर भी की जा सकती है. इसके खेती में धान के मुकाबले पानी बहुत कम खर्च होता है

कोदो में पाए जाते हैं ये पोषक तत्व

कोदो में प्रोटीन और फायबर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसके चलते इसमें फैट नहीं होता है. इसके अलावा कोदो में आयरन, पोटेशियम, जिंक, मैग्रनीशियम, कैल्शियम और फोलिक एसिड भी मौजूद होता है.