तापमान बढ़ने से इस राज्य में गेहूं प्रभावित, रुक गई फसल की ग्रोथ; पैदावार में भी गिरावट आने की संभावना
इस बार पंजाब में 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई है. हालांकि रात का तापमान 7-10 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, लेकिन दिन का तापमान 22-25 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है. इससे गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है.
Wheat crop: इस साल फरवरी महीने में ही मार्च वाली गर्मी पड़ रही है. तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने से किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं. कहा जा रहा है कि दिन के समय अधिक तापमान के चलते गेहूं की फसल पर असर पड़ रहा है. इससे फसल की पैदावार में गिरावट आने की संभावना बढ़ गई है. खासकर तापमान बढ़ने से पंजाब के किसान कुछ ज्यादा ही परेशान हैं, क्योंकि सामान्य से अधिक तापमान के चलते गेहूं की ग्रोथ रूक गई है.
सामान्य तौर पर गेहूं के पौधों में फरवरी के अंत तक फूल आने शुरू हो जाते हैं और मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में बीज बनने लगते हैं. लेकिन दिन के समय अधिक तापमान होने के कारण फसल की ग्रोथ रुक गई है और फूल आने शुरू हो गए हैं. किसानों का कहना है कि यदि तापमान में इसी तरह वृद्धि होती रही तो 147-148 दिनों में कटाई के लिए तैयार होने वाली गेहूं की फसल 135 दिनों में पक जाएगी. जल्दी पकने का मतलब है कम पैदावार और कम मुनाफा.
देरी से बोई गई फसल पर ज्यादा असर
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, नूरमहल के पास शादीपुर गांव में 40 एकड़ में गेहूं बोने वाले कुलबीर सिंह ने कहा कि मेरी पूरी फसल में फूल आने लगे हैं. खेतों के कुछ हिस्से में बीज बनना भी शुरू हो गया है. यह सामान्य नहीं है और इससे मैं वास्तव में चिंतित हूं. हमारे क्षेत्र के कई किसान, जिन्होंने धान की पराली प्रबंधन में देरी के कारण गेहूं की देर से बुवाई की थी, उन्होंने इसे वापस मिट्टी में मिला दिया है. इस बार गेहूं की पछेती किस्म की वृद्धि अच्छी नहीं हुई. इसलिए किसान अब गेहूं पर अधिक संसाधन और समय बर्बाद नहीं करना चाहते.
उपज में गिरावट की संभावना
ऐसे इस सीजन में राज्य में 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई है. हालांकि रात का तापमान 7-10 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, लेकिन दिन का तापमान 22-25 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है. कपूरथला के कृषि विकास अधिकारी जसपाल सिंह ने कहा कि फसल के जल्दी पकने से भारी नुकसान हो सकता है. मार्च के पहले-दूसरे सप्ताह के आसपास दिन का औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इस औसत से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक होने का मतलब है प्रति एकड़ लगभग 1 क्विंटल उपज का नुकसान. उन्होंने कहा कि किसानों को खेतों में बीच-बीच में पानी देकर गर्मी के तनाव की संभावना को कम करने की कोशिश करनी चाहिए.