गाजियाबाद में मछली और सिंघाड़े की खेती से लखपति बन गई महिला, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
Fisheries: गाजियाबाद में एक महिला किसान मछली पालन से अच्छा मुनाफा कमा रही है. इस साल भी उन्होंने 14 बीघे के तालाब में मछली का पालन किया है. उन्हें 7 लाख रुपये इनकम की उम्मीद है. उनके तालाब में रोहू, सिल्वर और ग्रास कॉर्प सहित कई तरह की मछलियां हैं.
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Agriculture Success Story: खेती-किसानी में अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इससे महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि पूरे घर की जिम्मेदारियां भी अपने कंधों पर उठा रखी हैं. आज हम एक ऐसी ही सफल महिला किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनकी तारीफ पीएम मोदी भी कर चुके हैं. क्योंकि ये महिला किसान सिंघाड़े की खेती और मछली पालन से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं. खास बात यह है कि उनकी सफलता से प्रेरित होकर अन्य महिलाएं भी अब खेती-किसानी में दिलचस्पी ले रही हैं.
दरअसल, हम जिस महिला किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, उनका नाम मंजू रानी कश्यप है. वे गाजियाबाद के दुहाई की रहने वाली हैं. Money9Live से बात करते हुए मंजू रानी कश्यप ने बताया कि सिंघाड़े की खेती और मछली पालन से उनकी जिन्दगी बदल गई है. अब दोनों बिजसने से साल में लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं. उन्हें बेहतर तरीके से खेती करने के लिए कई तरह के पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
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मंजू रानी ने कहा कि साल 2021 में लीज पर तालाब लेकर पहली बार उन्होंने सिंघाड़े की खेती शुरू की. उन्होंने कहा कि 4 एकड़ के तालाब में सिंघाड़ की खेती शुरू करने के लिए 30 हजार रुपये खर्च करने पड़े. लेकिन इससे सिंघाड़े बेचने के बाद 1 लाख 40 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. 34 वर्षीय मंजू रानी ने कहा कि जुलाई से अगस्त महीने के दौरान सिंघाड़े की रोपाई की जाती है. वहीं, अक्तूबर महीने से इसका उत्पादन शुरू हो जाता है.
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कैसे की जाती है सिंघाड़े की खेती
महिला किसान ने बताया कि सिंघाड़े की खेती धान की तरह ही की जाती है. तालाब में सिंघाड़े की बेलों को रोपा जाता है. मार्केट में 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल सिंघाड़े की बेलें बिकती हैं. एक एकड़ में खेती करने पर करीब 9 क्विंटल बेलों की जरूरत होती है. वहीं, 4 से 5 मजदूर एक दिन में बेलों की रोपाई कर देते हैं. मंजू ने कहा कि अधिक पैदावार लेने के लिए सिंघाड़े की बेलों की नलाई भी करनी होती है. रोपई से तोड़ाई के बीच करीब दो बार बेलों की नलाई की जाती है. यहां नलाई का मतलब है, तालाब में सिंघाड़े की बेलों का स्थान परिवर्तन करना.
उन्होंने कहा कि सिंघाड़े की तोड़ाई 10-10 दिन के अंतराल पर करीब 9 बार में होती है. पहली बार में प्रति एकड़ 3 क्विंटल सिंघाड़ा निकलता है. लेकिन जैसे-जैसे सिंघाड़े की तोड़ाई का अंतराल बढ़ता जाता है, उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है. तीसरी तोड़ाई में इसका उत्पादन बढ़कर 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाता है.
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मंजू रानी सिंघाड़े की खेती के साथ मछली पालन भी कर रही हैं. सिंघाड़े की खेती के साथ ही वे उसी तालाब में मछली पालन करती हैं. साल 2022 में उन्होंने 3 लाख रुपये की मछली बेची थीं. लेकिन लागत 1 लाख 10 हजार रुपये आई थी. यानी उन्हें 1 लाख 80 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था. उन्होंने कहा कि वे फरवरी महीने के दौरान तालाब में मछली का जीरा डालती हैं. एक साल के अंदर मछली बिकने के लिए तैयार हो जाती है. एक मछली का वजन कम से कम एक किलो होता है. महिला किसान ने बताया कि 100 रुपये से 300 रुपये किलो की दर से उनके तालाब की मछलियां बिक जाती हैं.
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सब्जियां से होती हैं अतिरिक्त कमाई
अभी उनके तालाब में कतला, रोहू, सिल्वर और ग्रास कॉर्प मछलियां हैं. उन्होंने कहा कि इस साल भी 14 बीघे के तालाब मछली का पालन शुरू किया है. इसके ऊपर करीब 2 लाख रुपये का खर्च आया है. लेकिन उन्हें 70 क्विंटल मछली उत्पादन की उम्मीद है, जिससे 7 लाख रुपये की कमाई होगी. मंजू ने कहा कि उन्होंने तालाब कि किनारों पर 10 तरह के 300 फलदार पेड़ भी लगा रखे हैं. साथ ही साग-सब्जियां भी उगा रहे हैं. इससे भी उन्हें अतिरिक्त कमाई होती है.
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