व्हाट इंडिया थिंक्स टुडे का आयोजन 28 और 29 मार्च को दिल्ली के भारत मंडपम में किया जा रहा है. पीएम मोदी के अलावा समारोह में कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ 5 राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे.टीवी9 के इस मेगा प्लेटफॉर्म पर राजनीति के साथ-साथ बिजनेस,स्वास्थ्य,मनोरंजन, संस्कृति और खेल समेत कई अहम विषयों पर गहन मंथन किया जाएगा.
India GDP: रेटिंग एजेंसी ने एक बार फिर भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट पर भरोसा जताया है. उसका अनुमान है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट अगले वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 प्रतिशत से अधिक बढ़ेगी. साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए मूडीज ने जीडीपी के 6.3 प्रतिशत की दर […]
शेयर बाजार हमेशा से निवेशकों हाई रिटर्न की वजह से लुभाता रहा है. लेकिन पिछले 117 साल के आंकड़े यह बताते हैं कि जब लोगों की गाढ़ी कमाई डूबती है तो बड़ा भूचाल आता है. और ऐसा अमेरिका से लेकर, भारत-चीन और यूरोप हर जगह होता है.
Deepseek चीन के लिए स्पुतनिक मोमेंट जैसा है. जिस तरह रूस ने अमेरिका की अंतरिक्ष पॉवर को चुनौती देते हुए बेहद कम लागत में स्पूतनिक सेटेलाइट को लांच कर दिया था. वैसा ही AI की दुनिया में Deepseek ने किया है.
सवाल उठता है कि जो इकोनॉमी, कोविड के बाद रिकवर होकर 8.2 फीसदी और 9.7 फीसदी की दर से बढ़ रही थी, वह कैसे 6.4 फीसदी पर आ गई. गिरावट से साफ है कि सरकार का निवेश पर खर्च कम हुआ है और उसका असर रोजगार पर दिख रहा है. लोगों की न केवल इनकम घटी है बल्कि नए रोजगार भी आने कम हुए हैं.
डॉ मनमोहन सिंह भले ही इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. लेकिन एक साधारण में परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा जिसका परिवार विभाजन का दौर देख चुका हो, वह बड़ा होकर न केवल असाधारण रुप से सफल होता है बल्कि उसने जीवन में कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे भारत के करोड़ों लोगों की तकदीर सदा के लिए बदल गई.
आरबीआई महंगाई को देखते हुए एक बार फिर सस्ते कर्ज का इंतजार लंबा कर दिया है. हालांकि आरबीआई ने सीआरआर में कटौती कर नकदी बढ़ाई है. इसका फायदा कस्टमर को स्पेशल ऑफर के रुप में मिल सकता है.
आंकड़े इतने निराशाजनक क्यों आएं. इसे समझने के लिए पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करिए. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 7% से घटकर 2.2% रह गई है. इतनी बड़ी गिरावट से साफ है कि कंपनियों के पास मांग नहीं है, दूसरे शब्दों में कहें तो लोगों ने खर्च में कटौती कर दी है. लोग बिस्कुट और साबुन जैसी बेहद जरूरी वस्तुओं की खपत में कटौती कर रहे हैं.