अमेरिका के बाद यूरोपीय संघ ने बढ़ाई भारत की टेंशन! ऑटो इंपोर्ट पर टैरिफ जीरो करने की उठी मांग, क्या होगा असर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने कुछ समय पहले भारत के साथ व्यापार वार्ता के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों सहित कारों पर आयात शुल्क खत्म करने की मांग की थी. अब उसी राह पर यूएन भी चलता दिख रहा है. यूएन ने भी भारत से टैरिफ खत्म करने की मांग की है.

EU wants zero tariff on auto import: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले कई देशों से अधिक टैरिफ वसूलने की धमकी दी थी. अब ट्रंप ने अपनी धमकी को सच साबित कर दिया है. अभी देश उससे निपटने की कोशिश कर ही रहा था कि यूरोपियन यूनियन (EU) ने भारत के समक्ष नई मांग रख दी है. EU ने भारत से आयात यानी इंपोर्ट होने वाली गाड़ियों पर शुल्क खत्म करने की मांग कर दी है. EU काफी समय से लंबित बिजनेस समझौते के तहत टैरिफ में कटौती चाहता है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार इस बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए विचार करने को तैयार है.
कितनी कम होगी शुल्क?
रॉयटर्स ने अपनी सूत्रों के हवाले से यह बताया है कि नरेंद्र मोदी की सरकार वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए अपने मौजूदा प्रस्ताव को और बेहतर बनाने को तैयार है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत टैरिफ को 100 फीसदी से घटाकर उसे फेज वाइज तरीके से 10 फीसदी करने के लिए तैयार है. हालांकि सरकार की मंशा के उलट, उद्योग जगत इस बात के लिए लॉबिंग कर रहा है कि भारत 30 फीसदी टैरिफ बनाए रखें. इसके अलावा डोमेस्टिक कंपनियों की सिक्योरिटी के लिए अगले 4 सालों तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर इंपोर्ट शुल्क में कोई बदलाव न करे.
किसको होगा फायदा?
यूरोपियन यूनियन की ये मांग बिल्कुल ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों सहित कारों पर आयात शुल्क खत्म करने की मांग की थी. इस मांग से घरेलू कार निर्माताओं पर दबाव बढ़ गया था. अगर यूएन की बात को मानकर टैरिफ घटा जाता है तब उसका सबसे ज्यादा फायदा वोक्सवैगन, मर्सिडीज-बेंज और बीएमडब्ल्यू जैसी यूरोपीय कार बनाने वाली कंपनियों के लिए बड़ी जीत होगी. इससे भारत में उनकी पहुंच और भी बढ़ सकती है. इससे इतर, ये फैसला एलन मस्क की टेस्ला के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है.
नहीं की कोई टिप्पणी
हालांकि ये पूरी बातचीत फिलहाल सूत्रों के हवाले से चल रही है. यूरोपीय आयोग ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया लेकिन मार्च में भारत के साथ हुई अपनी अंतिम दौर की वार्ता का ब्यौरा साझा किया है. व्यापार आयोग के प्रवक्ता ओलोफ गिल ने अपने एक बयान में कहा, कई प्रमुख सेक्टर्स में यूरोपियन यूनियन और भारत के नजरिये और उद्देश्य अलग-अलग हैं.
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