बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ रहा क्रेज, EV हब के रूप में उभर रहा पटना
आज प्रदूषण और पर्यावरण की चिंता के कारण पूरी दुनिया का ध्यान ईवी की ओर बढ़ रहा है. इसी कड़ी में भारत में भी ईवी क्षेत्र में क्रांति देखी जा रही है. अब लोग बढ़-चढ़ कर ईवी का इस्तेमाल कर रहे हैं. बिहार भी इस मामले में पीछे नहीं है, और पटना राज्य की राजधानी होने के साथ-साथ अब ईवी की राजधानी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. बिहार में ईवी का क्रेज धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, और पटना के अलावा अन्य जिलों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

सुजीत कुमार, पटना: बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. वित्तीय वर्ष 2024–25 में 23,096 ईवी का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जिनमें 22,133 दोपहिया और 963 चारपहिया वाहन शामिल हैं. ये दिखाता है कि इलेक्ट्रिक वाहन अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि आम जनता की पसंद बन चुके हैं. इस हरित क्रांति में पटना अग्रणी बनकर उभरा है, जहां अकेले 5,633 ईवी रजिस्टर किए गए हैं.
प्रदूषण मुक्त बिहार बनाने की अपील
परिवहन विभाग की मंत्री शीला कुमारी ने रविवार को बताया कि बिहार अब ईवी अपनाने में सिर्फ पीछे नहीं, बल्कि नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है. हमारा लक्ष्य सिर्फ वाहन बदलना नहीं है, हम जीवनशैली बदलने का प्रयास कर रहे हैं. बिहार जल्द ही देश के अग्रणी ईवी राज्यों में गिना जाएगा. हम नागरिकों से अपील करते हैं कि प्रदूषण मुक्त बिहार के निर्माण में भागीदार बनें.
2028 तक राज्य में 15 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन का लक्ष्य
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2028 तक लक्ष्य है कि बिहार में जितनी गाड़ियां बिकें या जिनका रजिस्ट्रेशन हो, उनमें से 15 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन हों. इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है. चार्जिंग स्टेशन योजना को लागू किया जा चुका है, जिससे गांवों तक ईवी अपनाना संभव होगा.
जिले जो बन रहे हैं ईवी परिवर्तन के केंद्र
बिहार में ईवी क्रांति की तस्वीर कुछ प्रमुख जिलों में और भी स्पष्ट नजर आती है, जहां न केवल रजिस्ट्रेशन की संख्या अधिक है, बल्कि जनता में ईवी के प्रति जागरूकता, स्वीकार्यता और उपयोगिता भी तेजी से बढ़ रही है. बिहार में कुछ जिले ऐसे हैं जो इस परिवर्तन की अगुवाई कर रहे हैं, जहां ईवी सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक बदलाव का प्रतीक बन चुका है. इन जिलों को हम ईवी परिवर्तन के केंद्र कह सकते हैं.
पटना राज्य की ईवी राजधानी के रूप में उभरा है. यहां कुल ईवी वाहनों के पंजीकरण की संख्या 5,633 है, जिनमें 4,963 दोपहिया तथा 670 चारपहिया वाहन हैं. इसके अलावा महानगरों की तर्ज पर चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क विकसित हो रहा है. निजी वाहन खरीदारों के साथ-साथ कई सरकारी विभागों ने भी ईवी को अपनाया है.
पटना के बाद गया ने भी हरित पहल की है. यहां कुल 1,821 ईवी का पंजीकरण हुआ है, जिनमें 1,782 दोपहिया जबकि 39 चारपहिया वाहन हैं. राज्य में तीर्थाटन एवं पर्यटन क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में ईवी को प्राथमिकता दी जा रही है. वहीं, स्कूल, कॉलेज व निजी संस्थानों द्वारा ई-स्कूटर की व्यापक खरीद की जा रही है.
राज्य के मुजफ्फरपुर में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रति काफी रुझान देखने को मिल रहा है. यहां व्यापारिक व शैक्षिक केंद्रों में तेजी से ईवी अपनाया जा रहा है. यहां कुल ईवी वाहनों के पंजीकरण की संख्या 1,696 है, जिनमें 1,624 दोपहिया जबकि 72 चारपहिया वाहन शामिल हैं. मोतीहारी (पूर्वी चंपारण) जिले में 1,401 ईवी वाहनों का पंजीकरण कराया गया है. इनमें 1,395 दोपहिया और 6 चारपहिया वाहन हैं.
समस्तीपुर में कुल 1,055 ईवी वाहनों का पंजीकरण कराया गया है. इनमें 1,051 दोपहिया और 4 चारपहिया वाहन हैं. ईवी की लोकप्रियता कॉलेज जाने वाले छात्रों और शिक्षकों में देखी जा रही है. साथ ही, कृषि एवं डेयरी से जुड़े लोग भी स्थानीय काम में ईवी का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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सरकार की प्रमुख पहल
राज्य सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं. इनमें शामिल हैं:
- बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023: प्रोत्साहन राशि एवं वाहन टैक्स में छूट
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: पब्लिक चार्जिंग स्टेशन का विस्तार
- सरकारी व निजी क्षेत्र: चार्जिंग स्टेशन लगाने पर अनुदान
- युवाओं के लिए रोजगार के अवसर: EV मैकेनिक, चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर, बैटरी रीसायक्लिंग आदि
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