केंद्र सरकार EV नीति में कर रही बदलाव, ऑटो कंपनियों ने की संशोधन की मांग
भारत सरकार ईवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन नीति में बदलाव की तैयारी कर रही है. नई नीति से मौजूदा कारखानों में भी ईवी निर्माण को लाभ मिलेगा.
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. ऑटो सेक्टर की अमूमन सभी कंपनिया बाजार में अपना बेस्ट ईवी लॉन्च करने के होड़ में लगी हुई हैं. केंद्र सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को बढ़ावा देने के लिए ईवी नीति में बदलाव कर सकती है. सरकार ने जो फिलहाल जानकारी साझा की है उसने ऑटो सेक्टर के मन में कई सवाल खड़े कर दिए है. भारत के ईवी नीति के तहत अब तक केवल नए कारखानों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान था लेकिन सरकार के नए नियम अगर लागू होते हैं तो मौजूदा कारखानों में भी ईवी निर्माण के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा.
नए प्रस्ताव के तहत, सरकार अब मौजूदा कारखानों में ईवी प्रोडक्शन के लिए अलग से प्रोडक्शन लाइन बनाने और स्थानीय घटकों का उपयोग करने वाले निर्माताओं को भी योजना का लाभ देगी. हालांकि, इसके लिए निवेश की न्यूनतम सीमा और ईवी से होने वाली इनकम का टारगेट तय किया जाएगा.
क्या है प्रोत्साहन योजना?
नए नियम के तहत, कोई भी ऑटोमेकर जो कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश कर 50% स्थानीय घटकों के साथ भारत में ईवी का निर्माण करता है उसे आयात शुल्क में भारी कटौती का लाभ मिलेगा. यह शुल्क 100% से घटकर 15% हो जाएगा.
टोयोटा, हुंडई और वोक्सवैगन ने जताई रुचि
सरकार के इस प्रस्तावना के बाद कई ऑटो कंपनियों ने सरकार से अपने कुछ संदेहों पर योजना कि स्थिति को स्पष्ट करने कि अपील कि है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, टोयोटा ने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि क्या मल्टी-पावरट्रेन कारखानों में अलग असेंबली लाइन स्थापित करने पर योजना का लाभ मिलेगा. वहीं, हुंडई ने पूछा कि क्या रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च किए गए धन को निवेश सीमा में जोड़ा जाएगा.
फॉक्सवैगन ने निवेश अवधि में लचीलापन लाने का अनुरोध किया है. कंपनी चाहती है कि पांच साल की योजना में 500 मिलियन डॉलर के निवेश का 75% पहले तीन साल में किया जा सके.
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मार्च तक फाइनल होगी नीति
सरकार मार्च 2024 तक इस नीति को अंतिम रूप देने कि योजना बना रही है. यह नीति देश में ईवी निर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश आकर्षित करने में मददगार साबित हो सकती है.