मारुति-हुंडई की हिस्सेदारी 12 साल के निचले स्तर पर, महिंद्रा-टोयोटा को फायदा

मारुति सुजुकी और हुंडई की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी FY2025 की पहली छमाही में हुई कम. ये अपने 12 साल के निचले स्तर पर पहुंची गई है, जबकि महिंद्रा की हिस्सेदारी बढ़कर 12.5% हो गई.

भारत में मारुती सुजुकी और हुंडई की हिस्सेदारी हुई कम Image Credit:

भारत में यात्री वाहन (पैसेंजर व्हीकल) बाजार लगातार बदलाव के दौर से गुजर रहा है. पहले जो कंपनियां इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए थीं, उनकी स्थिति अब कमजोर हो रही है. मारुति सुजुकी और हुंडई जैसी दिग्गज कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 12 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. इसके विपरीत, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टोयोटा जैसी कंपनियों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने एसयूवी वाहनों की मजबूत बिक्री के कारण अपनी बाजार हिस्सेदारी को 12.5% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है. एसयूवी वाहनों की बढ़ती मांग इसका प्रमुख कारण है. वहीं, टोयोटा और अन्य कंपनियां भी नए मॉडलों के साथ ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं.

दूसरी कंपनियों का हाल

जेफरीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, मारुति सुजुकी और हुंडई की कुल बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में गिरकर पिछले 12 सालों के निचले स्तर पर आ गई है. हालांकि, टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2023 में 14% की हिस्सेदारी हासिल की थी, जो 11 साल में सबसे ऊंची थी. लेकिन वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में यह घटकर 13.3% हो गई है.

बाजार में चुनौतियां

दूसरी तिमाही में भारतीय पैसेंजर व्हीकल उद्योग के लिए समय चुनौतीपूर्ण रहा. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अनुसार, अक्टूबर में यात्री वाहनों की बिक्री में 17% की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, इसमें बस, ऑटो और अन्य वाहनों की बिक्री शामिल नहीं है, जिनकी अक्टूबर 2023 की तुलना में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. नई कंपनियों द्वारा पेश किए गए मॉडलों ने ग्राहकों को आकर्षित किया है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. इन बदलावों से यह साफ है कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग अब अधिक विविधता और नवाचार की ओर बढ़ रहा है.