NextZen अब SUV के दीवाने, हैचबैक को छोड़ बनी नंबर वन कैटेगरी
पिछले कुछ सालों में भारत में कारों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 2012 में जहां कारों की संख्या 19 मिलियन थी, वहीं यह बढ़कर 2022 में 49 मिलियन हो गई. आज जितनी कारें बिक रही हैं, उनमें SUV की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ी है. वर्तमान में बिक रही हर दूसरी कार SUV है.
भारत में गाड़ियों का कल्चर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है और गाड़ियों की संख्या के मामले में एक शहर दूसरे शहर को पछाड़ता जा रहा है. अप्रैल 2020 में बेंगलुरु में रजिस्टर्ड कारों की संख्या 2 मिलियन थी, जो अप्रैल 2024 तक बढ़कर 2.4 मिलियन हो गई है. पिछले साल इसने कारों की संख्या के मामले में दिल्ली को पीछे छोड़ दिया. बेंगलुरु में लगभग हर चार मिनट में एक नई कार सड़कों पर आती है.
भारत की सड़कों पर कारों की संख्या 2012 में 19 मिलियन से बढ़कर 2022 में 49 मिलियन हो गई. इसी दौरान प्रति 1,000 लोगों पर कारों की संख्या 17 से दोगुनी होकर 34 हो गई. पिछले कुछ सालों में कार खरीदने वालों पर नजर डालें तो आंकड़ों से मालूम चलता है कि SUV की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ी है.
SUV पहली पसंद
भारत में कार खरीदने के पैटर्न पर गौर करें तो इसमें बड़ा बदलाव हुआ है. हुंडई मोटर के मुताबिक सिर्फ पांच साल पहले भारत में बिकने वाली हर दूसरी कार हैचबैक थी. आज यह घटकर चार में से एक रह गई है, जबकि नई बिकने वाली गाड़ियों में 50 फीसदी से ज्यादा SUV हैं.
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क्यों हो रही बढ़ोतरी
पिछले कुछ सालों में सड़कों की स्थिति बेहतर हुई है और इस दौरान कई एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ है. इससे वीकेंड पर घूमने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. कई परिवार ऐसे हैं जिनको बड़ी कार की जरूरत होती है, ऐसे में SUV की डिमांड बढ़ी है.
हाल के दिनों तक सेफ्टी पर लोगों का ध्यान ज्यादा नहीं था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.
आज मार्केट में टाटा नेक्सन जैसी कई SUV हैं, जिन्हें 5-स्टार रेटिंग मिली है. इस रेटिंग के कारण खरीदारों का विश्वास इन पर बढ़ा है.विशेषज्ञों का कहना है कि लोग अब माइलेज नहीं, बल्कि बेहतर एक्सपीरियंस पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. ऐसे में बेहतर एक्सपीरियंस के मामले में SUV सबसे बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है.