Osamu Suzuki: जिनके सपोर्ट से भारत को मिली मारुति, आम भारतीयों के कार का सपना हुआ साकार
Osamu Suzuki ने 1978 में सुजुकी मोटर्स कंपनी का नेतृत्व संभाला. एक छोटी सी कंपनी को उन्होंने ऑटोमोबाइल सेक्टर का ग्लोबल पावरहाउस बना दिया. 1980 के दशक में मारुति के साथ सुजुकी ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया. आज मारुति-सुजुकी भारत के पर्सनल कार बाजार की 40 फीसदी हिस्सेदार है.
1978 से 2021 तक Suzuki Motor Corporation का नेतृत्व करने वाले ओसामु सुजुकी का 25 दिसंबर को निधन हो गया. सुजुकी को भारत में खासतौर पर मारुति-सुजुकी की स्थापना में दिए सहयोग के लिए जाना जाता है. 2007 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. यह सम्मान भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के विकास में उनके योगदान की तस्दीक करता है. सुजुकी उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्हें भारत के साथ ही पाकिस्तान में भी सम्मान मिलता है. पाकिस्तान ने 1984 में उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान सितारा-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया.
असल में ओसामु सुजुकि ने कंपनी के संस्थापक मिचियो सुजुकी के सपने को पूरा किया. 1909 में मिचियो सुजुकी जापान के शिजुओका प्रांंत के हमामात्सू में सुजुकी लूम वर्क्स की स्थापना की. मिचियो को जापान के शीर्ष इन्वेटर्स में से एक माना जाता है. उनके नाम 120 से अधिक पेटेंट रहे. 1930 के दशक में उन्होंने आम लोगों के लिए मिनी कार बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया. इसके लिए उन्होंने कई प्रोटोटाइप भी बनाए. लेकिन, विश्व युद्ध के चलते उनकी यह योजना पटरी से उतर गई.
1952 में पहली बार सुजुकी मोटर व्हीकल कारोबार में उतरी. कार के बजाय सुजुकी ने 36 सीसी के हल्के इंजन के साथ पावर फ्री नाम से साइकल लॉन्च की, जिसे जबरदस्त कामयाबी मिली. इसके बाद 1955 में सुजुकी ने Suzulight 360 के साथ फोरव्हीलर मेन्युफैक्चरिंग में कदम रखा. इसके बाद मिचियो सुजुकी ने शुन्जो सुजुकी को कंपनी का नेतृत्व सौंप दिया.
1978 में चौथे चेयरमैन के तौर पर ओसामु सुजुकी ने सुजुकी मोटर्स कंपनी का नेतृत्व संभाला. ओसामु 1958 में सुजुकी से जुड़े. इस दौरान उन्होंने कई भूमिकाओं में काम किया और एक छोटी सी कंपनी को ऑटोमोबाइल सेक्टर का ग्लोबल पावरहाउस बना दिया. 1980 के दशक में मारुति के साथ सुजुकी ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया. आज मारुति-सुजुकी भारत के पर्सनल कार बाजार की 40 फीसदी हिस्सेदार है.
किसान परिवार में पैदा होकर ऐसे बने सुजुकी के लीडर
ओसामू सुजुकी असल में एक एक किसान परिवार में हुए थे. उनका नाम ओसामू मात्सुदा था. 1950 के दशक में जब वे एक बैंकर के तौर पर काम कर रहे थे, तभी उनकी मुलाकात शोको सुजुकी से हुई. शोको मिचियो सुजुकी की पोती थीं. यह मुलाकात प्यार और फिर शादी बदल गई. इसके बाद 1958 में ओसामू सुजुकी मोटर्स से जुड़े.
लीक से हटकर बनाया रास्ता
ओसामु सुजुकी ने कंपनी ऑटोमोबाइल सेक्टर में जब कदम रखा, तब जापान सहित दुनिया के ज्यादातर बड़े बाजारों में पहले से बड़ी-बड़ी कंपनियां मौजूद थीं. यूरोप, अमेरिका, जापान, चीन, रूस जैसे तमाम देशों में अमेरिकी और जर्मन कारों का दबदबा था. इस दौर में ओसामु ने सुजुकी को सफल बनाने के लिए लीक से हटकर चलने का फैसला किया. उन्होंने दुनिया के बड़े कार बाजारों के बजाय उन्होंने भारत, पाकिस्तान जैसे देशों का रुख किया.
भारत में पदार्पण
1982 में ओसामु ने भारत में सरकारी कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड के साथ सुजुकी की कारों के भारत में साझा उत्पादन पर समझौता किया. यह समझौता करने से पहले उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की और देश की जरूरतों को समझा. महज एक साल बाद 1983 में मारुति के साथ मिलकर भारत में कार निर्माण शुरू कर दिया गया. 14 दिसंबर, 1983 को इस साझा उपक्रम के तहत बनाई गई मारुति 800 कार डिलिवर की गई.
मारुति के साथ सुजुकी का सबसे बड़ा दांव
ओसामु सुजुकी का सबसे साहसिक कदम भारत पर उसका दांव लगाने को माना जाता है. 1982 में जब उन्होंने मारुति के साथ भारत कार बनाना शुरू किया, तब भारत में सालाना 40 हजार से भी कम कारें बिकती थीं. ओसामु सुजुकी ने भारत के लोगों के लिए किफायती कार बनाने के लिए सरकार समर्थित पहल मारुति को सफल बनाने के लिए पूरे एक साल की कमाई का निवेश किया. शुरुआती दिनों में ओसामु खुद इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे थे.
PM Modi ने दी श्रद्धांजलि
ओसामु सुजुकी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग की महान हस्ती ओसामु सुजुकी के निधन से बहुत दुख हुआ. उनके दूरदर्शी कार्य ने गतिशीलता की वैश्विक धारणा को नया रूप दिया. उनके नेतृत्व में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन एक वैश्विक शक्ति बनी और चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए नवाचार करते हुए कंपनी का विस्तार किया. उन्हें भारत से गहरा लगाव था. मारुति के साथ उनके सहयोग से भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में क्रांति आई थी.