ईवी क्वालिटी को लेकर सरकार हुई कड़क, क्या इलेक्ट्रिक टूव्हीलर बाजार से उठने वाला है ओला का झोला?
देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टूव्हीलर कंपनी ओला की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इसी सप्ताह सोमवार को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने सेवा दोष के एक मामले में कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसके बाद भारी उद्योग मंत्रालय ने क्वालिटी को लेकर ओला के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.
ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ ग्राहकों की तरफ से मिली हजारों शिकायतों के बाद केंद्र सरकार इस मामले में सख्ती के मूड में आ गई है. सोमवार को जहां केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ सेवा में कमी और गलत कारोबारी तौर तरीकों के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया. वहीं, अब भारी उद्योग मंत्रालय ने कंपनी के टूव्हीलर की क्वालिटी की जांच का आदेश दिया है.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारी उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को ओला इलेक्ट्रिक के सर्विस सेंटर्स की ऑडिट का आदेश दिया. ओला के टूव्हीलरों की खराब क्वालिटी को लेकर नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर 10,000 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. इसे लेकर सीसीपीए के कारण बताओ नोटिस के आधार पर मंत्रालय ने अपनी टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन एजेंसी ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) को ऑडिट का जिम्मा सौंपा है.
ग्राहकों ने क्या आरोप लगाए
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर शिकायत करने वाले ज्यादातर ग्राहकों ने ओला इलेक्ट्रिक पर घटिया क्वालिटी के प्रोडक्ट बनाने का आरोप लगाया है. ग्राहकों की शिकायत है कि उन्हें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के साथ टूव्हीलर दिए गए. बाद में जब उन्हें ठीक कराने कंपनी के सर्विस सेंटर पहुंचे, तो वहां कोई संतोषजन जवाब नहीं मिला. इसके अलावा बुकिंग कैंसिल करने में जानबूझकर देरी, सर्विस ठीक नहीं करना, ओवरचार्जिंग, इनवॉइस की गलतियों सहित तमाम तरह की शिकायतें दी गईं.
ARAI को क्यों दिया गया ऑडिट का जिम्मा
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी एआरएआई असल में वाहन उद्योग की विशेषज्ञ एजेंसी है. इसी वजह से मंत्रालय ने ऑडिट का जिम्मा इस एजेंसी को दिया है. एजेंसी यह पता लगाएगी कि ओला अपने सर्विस सेंटर्स को ठीक तरीके से चला रही है या नहीं. इसके अलावा कंज्यूमर्स को दी गई वारंटी को किस तरह से लेती है.
ऑडिट में गड़बड़ी पड़ेगी भारी
भारी उद्योग मंत्रालय की इस एजेंसी की ऑडिट में अगर ओला इलेक्ट्रिक के कामकाज और दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी पाई गई, तो यह कंपनी के लिए बहुत भारी पड़ सकता है. क्योंकि, कंपनी केंद्र सरकार की तरफ से ईवी प्रोडक्शन पर मिलने वाली इंसेंटिव स्कीम का फायदा उठाती रही है. अगर प्रोडक्ट की क्वालिटी और सर्विस नेटवर्क में कमियां मिलती हैं, तो केंद्र सरकार कंपनी का इंसेटिव रोक सकती है. यहां तक कि दिया गया इंसेटिव वापस भी वसूल सकती है.