इस “Master-stroke” से दुनिया के “EV KING” बने Elon Musk, वर्ना फुस्स हो जाती Tesla
Decoding Musk : EV बनाने वाली कंपनी Tesla के शेयरों के दम पर आज Elon Musk दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं. लेकिन, सवाल उठता है कि Auto Industry में दशकों से स्थापित BMW, Ford, Toyota जैसी कंपनियों के पास ऐसा क्या नहीं था, जिससे Tesla आते ही ईवी मार्केट में छा गई.
321 डॉलर प्रति शेयर की कीमत के लिहाज से Tesla का मार्केट कैप करीब 1.1 लाख करोड़ डॉलर है. 303 अरब डॉलर की दौलत के साथ मस्क आज दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं. Elon Musk ने Tesla को कामयाब बनाने के लिए कई बड़े दांव लगाए और चालें चलीं. कॉर्पोरेट स्ट्रैटजी की हिस्ट्री में मस्क के ये दांव और चालें अब मिसाल बन चुकी हैं, जिन्हें आने वाली कई पीढ़ियां पढ़ेंगी और इनसे सीखेंगी. इनके बारे में जानने से पहले शॉर्ट में मस्क और टेस्ला के साथ आने की कहानी जानते हैं.
2003 यूं हुई Tesla की शुरुआत
Elon Musk को Tesla का को-फाउंडर कहा जाता है. हालांकि, यह कंपनी 1 जुलाई, 2003 को अमेरिकी इंजीनियर और उद्यमी मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने स्थापित की थी. एबरहार्ड कंपनी के पहले सीईओ बने. उन्होंने कहा, ‘टेस्ला एक ऐसी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी होगी, जो टेक बेस्ड होगी. इसकी सबसे अहम टेक्नोलॉजी बैटरी, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और मोटर होंगी.
Tesla से कैसे जुड़े Musk
2001-2002 में Elon Musk ने अपनी पहली बड़ी कंपनी Paypal को बेचा था. उनके पास 10 करोड़ डॉलर नकद थे. फरवरी 2004 में टेस्ला ने सीरीज ए फंडिंग के जरिये 75 लाख डॉलर जुटाए. इसमें से 65 लाख डॉलर मस्क ने दिए थे. आज के हिसाब से देखें, तो यह रकम करीब 1 करोड़ डॉलर के बराबर होगी. इस तरह मस्क Tesla से इसके सबसे बड़े शेयरधारक के तौर पर जुड़े.
कैसे को-फाउंडर बने मस्क
कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक के तौर पर उन्हें कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया और अध्यक्ष बनाया गया. अगस्त 2007 में मस्क के नेतृत्व में कंपनी के बोर्ड ने एबरहार्ड से सीईओ का पद छोड़ने को कहा. इस दौरान एबरहार्ड ने एक मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें मस्क पर आरोप लगाया कि वे एबरहार्ड की विरासत को मिटाकर नए सिरे से टेस्ला का इतिहास रच रहे हैं.
कंपनी के 5 को-फाउंडर
2008 में मस्क कंपनी के सीईओ बन गए. सितंबर 2009 में एक अमेरिकी अदालत ने ऐलान किया कि मार्टिन एबरहार्ड, मार्क टारपेनिंग एलन मस्क, जेबी स्ट्रॉबेल और इयान राइट खुद को कंपनी का को-फाउंडर कह सकते हैं.
तो मिट जाता टेस्ला का वजूद
जब Musk इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए Tesla पर अपनी जीवनभर की पूंजी लगा चुके थे, दुनिया में ईवी पर कोई बात भी नहीं कर रहा था. अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री में BMW, Ford, Toyota जैसी दिग्गज कंपनियों का वर्चस्व था. सिर्फ BMW के पास इलेक्ट्रिक कार बनाने की योजना थी. मस्क जानते थे कि अगर BMW जैसी कंपनियां इस सेक्टर में उतरेंगी, तो Tesla का वजूद हमेशा के लिए मिट जाएगा.
12 जून, 2014 का मास्टरस्ट्रोक
2009 से 2012 के दौरान एलन मस्क ने दिनरात एक कर टेस्ला को इलेक्ट्रिक कार के कारोबार में दुनिया की सबसे एडवांस कंपनी बनाया. इसके बाद 12 जून, 2014 को एक ऐसी चाल चली, जिससे हर कोई दंग रह गया. मस्क ने एक ब्लॉग में ऐलान किया कि टेस्ला के सारे पेटेंट ओपनसोर्स किए जाते हैं. उनके इस ऐलान ने पूरी ऑटो इंडस्ट्री को हमेशा के लिए बदल दिया. मस्क ने रातों-रात अपने लिए 0 की जगह दर्जनों कंपटीटटर खड़े कर लिए.
“All Our Patents Belong to You”
यह था मस्क का मास्टर प्लान
मस्क के इस कदम को तमाम लोगों ने आत्मघाती बताया, लेकिन मस्क जानते थे कि उन्हें क्या करना है. मस्क को पता था ईवी का बाजार बहुत छोटा है और कोई भी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च नहीं कर रहा है. अगर उन्हें कामयाब होना है, तो पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहन को लोकप्रिय बनाना होगा. मस्क को पता था कि वे अकेले कामयाब नहीं हो पाएंगे, इसलिए उन्होंने पूरी इंडस्ट्री को उस दौड़ में शामिल कर लिया, जिसके लिए मस्क पहले से आगे की योजनाएं बनाकर पूरी तैयारी के साथ बैठे थे. इस तरह उनकी यह चैरटी असल में बहुत क्रूर स्ट्रैटजी थी, जिससे उन्होंने अपने पेटेंट ओपनसोर्स कर ईवी सेक्टर में कंपटीशन खड़ा किया.
टेस्ला और मस्क को क्या फायदा हुआ
टेस्ला के पेटेंट ओपनसोर्स किए जाने से तमाम कंपनियों ने टेस्ला के प्रोटोटाइप और टेक्नोलॉजी को अपनाया. इस तरह पूरी दुनिया में टेस्ला की तकनीक ही ईवी के लिए मानक बन गए. इसके अलावा चार्जिंग इन्फ्रा में भी कंपनियों ने निवेश किया, जिससे टेस्ला खरीदने वालों में विश्वास बढ़ा. खासतौर पर दुनिया को प्रदूषण से बचाने के नाम पर उन्हें मुफ्त पब्लिसिटी मिली. लोगों को लगा कि मस्क सिर्फ एक कारोबारी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की भलाई चाहते हैं, तभी तो 500 करोड़ डॉलर कीमत के पेटेंट फ्री में बांट दिए.
मस्क के जाल में फंसी कंपनियां
टेस्ला के अरबों डॉलर के पेटेंट फ्री में बांटकर मस्क ने पूरी दुनिया में ईवी ईकोसिस्टम और कंपटीशन खड़ा किया. इसके साथ ही अपनी गीगा फैक्ट्री के जरिये इस ईकोसिस्टम की फूडचेन में टॉप प्रिडेटर बन गए. क्योंकि, जहां बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों को बैटरी की कॉस्ट 280 डॉलर प्रति किलोवाट पड़ रही थी, मस्क 187 डॉलर प्रति किलोवॉट में बैटरी बना रहे थे. 2016 में Tesla की बैटरी दूसरों की तुलना में 60% सस्ती हो गई.
सबसे बड़ा फायदा
Tesla को अपने पेटेंट फ्री करने का सबसे बड़ा फायदा यह मिला कि जो भी कंपनियां टेस्ला की पेटेंटेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं, वे अपने पेटेंटेड टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर टेस्ला के खिलाफ मुकदमा नहीं कर सकते. इसके अलावा टेस्ला के पेटेंट पर आधारित टेक्नोलॉजी में आगे कोई भी डवलपमेंट होता है, तो उसे टेस्ला के साथ साझा करना होगा. इस तरह अब टेस्ला ईवी सेक्टर में हमेशा के लिए दो कदम आगे रह सकती है.