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Tax Slab 2024-25
Regular Slab
Old Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate
0-2.5 लाख रुपए तक Nil
2.5- 5 लाख रुपए तक 5%
5-10 लाख रुपए तक 20%
10 लाख से ऊपर 30%
New Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate
0-3 लाख रुपए Nil
3-7 लाख रुपए 5%
7-10 लाख रुपए 10%
10-12 लाख रुपए 15%
12-15 लाख रुपए 20%
15 लाख से ज्यादा पर 30%
Old Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate
New Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate
Old Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate
New Tax Regime
Income Tax Slab Income Tax Rate

सेक्टर का बजट

Budget Trivia

Finance Ministers of India

बजट 2025 की टीम में कौन दिग्गज शामिल हैं?

निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री

मोदी 3.0 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 8वीं बार बजट पेश करने जा रही है. सीतारमण पहली महिला वित्त मंत्री है जो फुल टाइम सेवा दे चुकी है. हालांकि पहली महिला वित्त मंत्री का दर्जा इंदिरा गांधी के पास है लेकिन वो ज्यादा समय के लिए वित्त मंत्री नहीं थी जबकि सीतारमण ने अपना कार्यकाल पूरा किया है. सीतारमण ने 1980 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित सीतलक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरा किया है. इसके बाद 1984 में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), से अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स (MA) की डिग्री हासिल की है.

निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री बनने से पहले, 2017 से 2019 तक रक्षा मंत्री रही. वह 2008 में बीजेपी में शामिल हुईं थी.

वी अनंत नागेश्वरन, मुख्य आर्थिक सलाहकार

डॉ नागेश्वरन, भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं. यह लेखक, शिक्षक और कई किताबों के सह-लेखक रह चुके हैं. भारत और सिंगापुर के कई मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट में पढ़ा चुके हैं.

तुहिन कांत पांडे, वित्त और राजस्‍व सचिव

तुहीन कांत पांडे 1987 बैच के ओडिशा कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं. ये वित्त सचिव के साथ ही राजस्‍व सचिव भी हैं. इससे पहले ये DIPAM के भी सचिव रह चुके हैं.

अजय सेठ, आर्थिक मामलों के सचिव

अजय सेठ कर्नाटक कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं. अप्रैल 2021 से आर्थिक मामलों के सचिव हैं. अजय सेठ ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech और फिर MBA किया है.

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Budget 2024
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बजट 2024-25 (Union Budget)

1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 का बजट पेश करेंगी. हर बजट की तरह इस बजट में भी सरकार का पूरा लेखा-जोखा पेश होगा. यानी सरकार ने एक वित्त वर्ष में कितना कमाया और कितना खर्च किया. पहली बार 1803 में फ्रांस में बजट शब्द का प्रयोग किया गया था. बजट को संसद में पेश होने से पहले तक बजट प्रस्तावों की जानकारी सिर्फ वित्त मंत्री को होती है. एक बार ब्रिटेन में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ डाल्टन को अपना पद इसलिए छोड़ना पड़ा था क्योंकि लोगों को बजट की जानकारी संसद में बजट पेश होने से पहले हो गई थी. भारत में शुरू में बजट को 28 फरवरी को पेश किया जाता था. फिर साल 2017 से तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख बदल कर एक फरवरी कर दी . साल 2017 में ही जेटली ने रेलवे के लिए अलग बजट पेश करने की परंपरा को बदला. साल 2017 में 92 साल पुरानी ब्रिटिश परंपरा को खत्म कर रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसी तरह 2019 में लाल कपड़े से बने बैग में बजट लेकर आई और ब्रीफकेस की परंपरा बदल गई. अभी वह लाल रंग के बैग में टैबलेट लेकर आताी हैं और उससे बजट पेश करती हैं.

FAQ'S

क्या होता है बजट?

किसी भी सरकार को चलाने का खर्च और कमाई का लेखा-जोखा बजट कहलाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, किसी वर्ष का केंद्रीय बजट या वार्षिक वित्तीय विवरण उस साल के लिए सरकार की अनुमानित आय और खर्च का विवरण होता है. आसान भाषा में इसमें सरकार का लेखा-जोखा होता है.

कहां से आया बजट?

बजट शब्द फ्रेंच शब्द Bougette से आया है. Bougette का मतलब होता है 'छोटा बैग'.

यह शब्द 15वीं शताब्दी में फ्रेंच भाषा से अंग्रेजी में आया और फिर वहां से दुनियाभर में इस्तेमाल होने लगा.

भारत का पहला बजट कब पेश हुआ?

आजाद भारत से पहले 7 अप्रैल, 1860 को पहला बजट पेश किया गया था. तब स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने बजट को पेश किया था.

आजाद भारत का पहला बजट कब पेश हुआ?

आजादी मिलने के बाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था.

हिंदी में बजट कब पेश हुआ?

ब्रिटिश शासन में बजट अंग्रेजी में पेश होता था. परंपरा आगे बढ़ी और साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था. लेकिन 1955-56 में कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था.

कहां छपता है बजट?

साल 1950 तक का बजट राष्ट्रपति भवन में छपा लेकिन फिर इसके लीक होने के बाद दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में इसकी छपाई होने लगी. फिर 1980 में वित्त मंत्रालय में ही सरकारी प्रेस में बजट छपने लगा है.

बजट भाषण का समय कब बदला?

साल 1999 तक बजट फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था. ऐसा इसलिए होता था क्योंकि भारत का बजट ब्रिटिश समय को ध्यान में रखकर पेश किया जाता था. क्योंकि जब भारत में शाम 5 बजते थे, उस वक्त ब्रिटेन में 11 बजता था. उसी आधार पर भारत में शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा थी. फिर तत्तकालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को खत्म कर साल 1999 से सुबह 11 बजे बजट पेशन करना शुरू किया.

बजट का दिन कब बदला?

साल 2017 से पहले बजट को फरवरी के आखिरी दिन पेश किया जाता था. लेकिन साल 2017 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख बदल कर एक फरवरी कर दी थी.

रेल बजट का विलय कब किया गया?

रेल बजट को केंद्रीय बजट से अलग पेश किया जाता था लेकिन साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रेलवे के लिए अलग बजट पेश करने की परंपरा को बदला और 92 साल पुरानी ब्रिटिश परंपरा को खत्म कर रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया.

सबसे लंबा बजट भाषण किसके नाम है?

मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट का लंबा भाषण दिया था.

क्या होता है अंतरिम बजट?

भारतीय संविधान में अंतरिम बजट जैसा कोई शब्द नहीं है. सरकार चाहे तो साल में एक से ज्यादा बार पेश कर सकती है. जिस साल आम चुनाव होने वाले होते हैं, उस साल सरकार लेखानुदान पारित कराती है. इसमें केवल राजस्व और खर्चों का ही लेखा-जोखा होता है और तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी खर्च के लिए बजट पारित कराया जाता है. लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती है.

क्या होता है राजकोषीय घाटा?

जब सरकार की कमाई कम और खर्च ज्यादा हो जाए, इसका अंतर राजकोषीय घाटा कहलाएगा. राजकोषीय घाटा सरकार के कुल कमाई और कुल व्यय के बीच का अंतर है.

क्या होता है राजस्व घाटा?

राजस्व घाटा या रेवेन्यू डेफिसिट सरकार की वित्तीय स्थिति को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण इंडीकेटर है. यह स्थिति तब पैदा होती है जब सरकार की राजस्व प्राप्तियां उसकी राजस्व खर्च से कम होती हैं. राजस्व खर्च में सैलेरी, पेंशन इसका खर्च आदि शामिल होता है, और राजस्व प्राप्ति में टैक्स से आया पैसा होता है. जब खर्च, प्राप्ति से ज्यादा हो तब राजस्व घाटा होता है.

क्या होता है चालू खाता घाटा?

इसे करंट अकाउंट डेफिसिट भी कहते हैं. यह घाटा देश के आयात-निर्यात से जुड़ा होता है. जब देश का आयात, निर्यात से ज्यादा होता है उस अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है.