Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|---|
0-2.5 लाख रुपए तक | Nil |
2.5- 5 लाख रुपए तक | 5% |
5-10 लाख रुपए तक | 20% |
10 लाख से ऊपर | 30% |
Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|---|
0-3 लाख रुपए | Nil |
3-7 लाख रुपए | 5% |
7-10 लाख रुपए | 10% |
10-12 लाख रुपए | 15% |
12-15 लाख रुपए | 20% |
15 लाख से ज्यादा पर | 30% |
Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|
Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|
Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|
Income Tax Slab | Income Tax Rate |
---|
किसी भी सरकार को चलाने का खर्च और कमाई का लेखा-जोखा बजट कहलाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, किसी वर्ष का केंद्रीय बजट या वार्षिक वित्तीय विवरण उस साल के लिए सरकार की अनुमानित आय और खर्च का विवरण होता है. आसान भाषा में इसमें सरकार का लेखा-जोखा होता है.
बजट शब्द फ्रेंच शब्द Bougette से आया है. Bougette का मतलब होता है 'छोटा बैग'.
यह शब्द 15वीं शताब्दी में फ्रेंच भाषा से अंग्रेजी में आया और फिर वहां से दुनियाभर में इस्तेमाल होने लगा.
आजाद भारत से पहले 7 अप्रैल, 1860 को पहला बजट पेश किया गया था. तब स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने बजट को पेश किया था.
आजादी मिलने के बाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था.
ब्रिटिश शासन में बजट अंग्रेजी में पेश होता था. परंपरा आगे बढ़ी और साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था. लेकिन 1955-56 में कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था.
साल 1950 तक का बजट राष्ट्रपति भवन में छपा लेकिन फिर इसके लीक होने के बाद दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में इसकी छपाई होने लगी. फिर 1980 में वित्त मंत्रालय में ही सरकारी प्रेस में बजट छपने लगा है.
साल 1999 तक बजट फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था. ऐसा इसलिए होता था क्योंकि भारत का बजट ब्रिटिश समय को ध्यान में रखकर पेश किया जाता था. क्योंकि जब भारत में शाम 5 बजते थे, उस वक्त ब्रिटेन में 11 बजता था. उसी आधार पर भारत में शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा थी. फिर तत्तकालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को खत्म कर साल 1999 से सुबह 11 बजे बजट पेशन करना शुरू किया.
साल 2017 से पहले बजट को फरवरी के आखिरी दिन पेश किया जाता था. लेकिन साल 2017 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख बदल कर एक फरवरी कर दी थी.
रेल बजट को केंद्रीय बजट से अलग पेश किया जाता था लेकिन साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रेलवे के लिए अलग बजट पेश करने की परंपरा को बदला और 92 साल पुरानी ब्रिटिश परंपरा को खत्म कर रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया.
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट का लंबा भाषण दिया था.
भारतीय संविधान में अंतरिम बजट जैसा कोई शब्द नहीं है. सरकार चाहे तो साल में एक से ज्यादा बार पेश कर सकती है. जिस साल आम चुनाव होने वाले होते हैं, उस साल सरकार लेखानुदान पारित कराती है. इसमें केवल राजस्व और खर्चों का ही लेखा-जोखा होता है और तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी खर्च के लिए बजट पारित कराया जाता है. लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती है.
जब सरकार की कमाई कम और खर्च ज्यादा हो जाए, इसका अंतर राजकोषीय घाटा कहलाएगा. राजकोषीय घाटा सरकार के कुल कमाई और कुल व्यय के बीच का अंतर है.
राजस्व घाटा या रेवेन्यू डेफिसिट सरकार की वित्तीय स्थिति को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण इंडीकेटर है. यह स्थिति तब पैदा होती है जब सरकार की राजस्व प्राप्तियां उसकी राजस्व खर्च से कम होती हैं. राजस्व खर्च में सैलेरी, पेंशन इसका खर्च आदि शामिल होता है, और राजस्व प्राप्ति में टैक्स से आया पैसा होता है. जब खर्च, प्राप्ति से ज्यादा हो तब राजस्व घाटा होता है.
इसे करंट अकाउंट डेफिसिट भी कहते हैं. यह घाटा देश के आयात-निर्यात से जुड़ा होता है. जब देश का आयात, निर्यात से ज्यादा होता है उस अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है.