30 बरस का हुआ NSE, ऐसे हुआ था शुरू, आज दुनिया के टॉप 10 में शामिल
तीस साल का सफर और एनएसई की अनोखी सफलता! भारत में शेयर बाजार की तस्वीर कैसे बदली. इस आर्टिकल में पढ़ें इस सफर की कहानियां...
भारत में 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधारों की आहट हो रही थी. उस वक्त देश के नरसिम्हा राव सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए देश के दरवाजे खोल दिए और इसी के साथ ग्लोबलाइजेशन का दौर शुरू हुआ. ये वो वक्त था जब भारतीय बाजार को खोलने की कोशिशें शुरू हुई थीं, और इस बदलाव में एक नया अध्याय लिखा गया- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE). आज एनएसई ने अपने 30 वर्षों का सफर पूरा कर लिया है. एक्सचेंज के लिए ये एक ऐतिहासिक पल है. एनएसई ने ऑपरेशन्स का शुभारंभ 3 नवंबर, 1994 को दीवाली की पूजा के दौरान शाम के वक्त किया था.
1994 में, जब आर्थिक सुधारों के नायक और उस वक्त के वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एनएसई का उद्घाटन किया तो भारतीय पूंजी बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता का एक नया दौर शुरू हुआ. एनएसई आज इस मुकाम पर है कि इसमें आज 5.6 ट्रिलियन डॉलर की इक्विटी का कारोबार किया जाता है.
पुराने दौर से आधुनिक व्यापार तक का सफर
1980-90 के दशक में, भारत का शेयर बाजार एक संगठित और पारदर्शी प्रणाली से बहुत दूर था. शेयर बाजार में उन दिनों व्यापार काफी मुश्किल और असुविधाजनक था, और कई तरह के धोखाधड़ी और धांधली की घटनाएं भी सामने आती थीं. शेयरों की खरीद-बिक्री में हफ्तों और कभी-कभी महीनों का समय लग जाता था. उस समय व्यापारियों और निवेशकों के पास एक सुरक्षित और पारदर्शी प्लेटफ़ॉर्म का अभाव था. ऐसे माहौल में एनएसई की शुरुआत ने भारतीय पूंजी बाजार की दिशा ही बदल दी.
एनएसई का मकसद था देशभर के निवेशकों को एकीकृत करना और उन्हें एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म मुहैया करना, जहां वे बिना किसी झंझट के व्यापार कर सकें. एनएसई ने न केवल व्यापार को सुगम बनाया बल्कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत करके इसे आधुनिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाया है.
हर्षद मेहता स्कैम बना एक्सचेंज के शुरुआत की वजह
CNN News18 को दिए एक इंटरव्यू में एक्सचेंज की शुरुआत के बारे में NSE के सीईओ आशीष कुमार चौहान ने कहा कि हर्षद मेहता स्कैम के बाद फेरवानी कमेटी ने सुझाव दिया कि आपको एक मॉडल एक्सचेंज की जरूरत है जो यह सुनिश्चित करें कि दूसरे एक्सचेंज भी इससे सीख लें. लेकिन मौटे तौर पर यह नतीजा था बड़े हर्षद स्कैम का.” उन्होंने आगे कहा, “यह सरकार का नया पॉलिसी फैसला था. उन्हें ऐसा एक्सचेंज चाहिए था जिसमें ब्रोकर्स का कोई हाथ ना हो और सब कुछ टेक ड्रिवेन हो.”
1994 में एनएसई की शुरुआत के साथ ही एक्सचेंज ने नेशनल एक्सचेंज फॉर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग (NEAT) सिस्टम को लागू किया, जिससे ऑर्डर-ड्रिवन मार्केट की शुरुआत हुई. इसके जरीए से एनएसई ने भारत के पूंजी बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया, जिससे न केवल स्थानीय बल्कि विदेशी निवेशकों ने भी भारतीय बाजार में निवेश करना शुरू किया.
एनएसई ने हासिल की कई उपलब्धियां
पिछले 30 वर्षों में एनएसई ने कई मील के पत्थर हासिल किए हैं. 2021 में, एनएसई ने ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में दुनिया के चौथे सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में अपनी पहचान बनाई.हालांकि मौजूदा समय में एनएसई मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया का छठा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज हैं. इस उपलब्धि ने भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी.अप्रैल 2023 तक एनएसई की कुल बाजार पूंजी लगभग 3.26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जिससे यह दुनिया के टॉप 10 एक्सचेंज के लिस्ट में शामिल हुआ.
हालांकि अमेरिका में कॉर्पोरेट क्षेत्र का जीडीपी में योगदान लगभग 70% है, वहीं भारत में यह प्रतिशत 12-14% है. इसके बावजूद एनएसई ने उस छोटे से कॉर्पोरेट बाजार को भी मजबूती दी और इसे बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई.
एनएसई ने अपने 30वें वर्षगांठ के अवसर पर 8 नई भारतीय भाषाओं में अपनी वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप लॉन्च की हैं. ये भाषाएं हैं असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, ओडिया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु. अब एनएसई की सेवाएं कुल 12 भाषाओं में उपलब्ध होंगी, जिसमें पहले से मौजूद हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और गुजराती भी शामिल हैं. इस पहल का उद्देश्य देश के ज्यादा से ज्यादा निवेशकों तक अपनी सेवाएं पहुंचाना है.