GST Council Meeting: ATF tax पर एविएशन सेक्टर को मिल सकती है बड़ी राहत?
राजस्थान में 21-22 दिसंबर को होने वाली 55वीं GST Council की बैठक के एजेंडा में एविएशन सेक्टर को राहत मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. खासताैर पर ATF को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. अगर ऐसा फैसला होता है, तो यह एविएशन सेक्टर के लिए बड़ी राहत होगी.
GST Council की 55वीं बैठक राजस्थान में 21-22 दिसंबर को होने जा रही है. इस बैठक के एजेंडा में इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स घटाने के साथ ही एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) को जीएसटी के दायरे में लाए जाने पर भी चर्चा शामिल हो सकती है. अगर एविएशन टरबाइन फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो एविएशन सेक्टर के लिए यह बहुत बड़ी राहत होगी.
सूत्रों के हवाले से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जैसलमेर में होने वाली 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक में एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) को जीएसटी के दायरे में लाने जाने चर्चा होने की बात कही जा रही है. CNBC की एक रिपोर्ट में भी सूत्रों के हवाले से इस बात की संभावना व्यक्त की गई है कि इस बैठक में ATF को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है.
अगर एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो तमाम एयरलाइंस को इस फैसले से फायदा मिलेगा. इसके साथ ही एटीएफ बनाने वालों को भी राहत मिलेगी. एविएशन इंडस्ट्री पिछले कई सालों से केंद्र सरकार से ATF को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रही है. हालांकि, डीजल, पेट्रोल जैसे किसी भी ईंधन को अभी जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है.
जीएसटी बैठक में इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा हो सकती है. संसद के शीतकालीन सत्र के तहत पिछले दिनों एविएशन इंडस्ट्री पर हुई चर्चा के दौरान भी विपक्षी दलों के सांसदों ने ATF और एविएशन इंडस्ट्री से जुड़ी समस्याओं को सदन में उठाया था. सरकार भी लगातार डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर माना जा रहा है कि इस बैठक में ATF पर टैक्स को लेकर कोई ठोस फैसला हो सकता है.
क्या है एटीएफ
असल में एटीएफ केरोसीन का ही एक रूप है. आसमान में ज्यादा ऊंचाई पर ठंड में ईंधन जमे नहीं इसके लिए इसमें कई पदार्थ मिलाए जाते हैं. एटीएफ को तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर जरूरी उत्पाद पहले से ही जीएसटी के दायरे में आते हैं. लेकिन, एटीएफ के जीएसटी से बाहर होने की वजह से एटीएफ निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता है. इससे एटीएफ की लागत बढ़ जाती है. आखिर में इसका असर एविएशन इंडस्ट्री और ग्राहकों पर पड़ता है.