मेड इन बिहार की मुरीद हुई ये ताकतवर सेना, 65 फीसदी डिफेंस इक्वीपमेंट खुद बना रहा है भारत

भारत में मेक इन इंडिया पहल के तहत डिफेंस सेक्टर में बड़ा बदलाव हुआ है. अब देश 65फीसदी डिफेंस इक्विपमेंट का उत्पादन खुद करता है, जो पहले इंपोर्ट पर निर्भर था. बिहार में बने आर्मी बूट्स का उपयोग रशियन आर्मी भी कर रही है. 2023-24 में डिफेंस प्रोडक्शन 1.27 लाख करोड़ रुपये पहुंचा, जिसे 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है.

भारत में मेक इन इंडिया पहल के तहत डिफेंस सेक्टर में बड़ा बदलाव हुआ है. Image Credit:

Make in India Defense Sector Self-Reliance: देश में डिफेंस सेक्टर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. जहां पहले अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए इंपोर्ट पर निर्भर थे, अब हम अपनी सुरक्षा के लिए 65 फीसदी डिफेंस इक्विपमेंट खुद बना रहे हैं. मेक इन इंडिया के लॉन्च के बाद 2023-24 में देश में डिफेंस प्रोडक्शन में तेजी आई है और यह 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. सरकार का लक्ष्य इसे 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये करने का है. देश में जो इक्विपमेंट बन रहे हैं, उनमें बुलेटप्रूफ जैकेट्स, डॉर्नियर एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं.

मेड इन बिहार ने दिलाई वैश्विक पहचान

देश में बन रहे डिफेंस इक्विपमेंट में बिहार में बनने वाले आर्मी बूट्स भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल इंडियन आर्मी के अलावा रशियन आर्मी भी कर रही है. यूक्रेन के साथ चल रही वार के बीच रशियन आर्मी में इन जूतों की मांग बढ़ी है. ये बूट्स आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय डिफेंस इक्विपमेंट के स्टैंडर्ड्स को भी दिखाते हैं. इनकी वजह से ग्लोबल लेवल पर भारत में बने इक्विपमेंट की पहचान बन रही है.

इन इक्विपमेंट का हो रहा प्रोडक्शन

इस पहल से धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, अर्जुन टैंक, तेजस हल्का लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर जैसे कई एडवांस्ड प्लेटफॉर्म्स विकसित हुए हैं.

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रक्षा बजट में बढ़ोतरी

सितंबर 2020 में एफडीआई नियमों में बदलाव से 74 फीसदी तक ऑटोमैटिक रूट और इससे अधिक गवर्नमेंट रूट से निवेश को मंजूरी मिली है. अप्रैल 2000 से अब तक डिफेंस सेक्टर में 5,516.16 करोड़ रुपये का एफडीआई आ चुका है. रक्षा बजट 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

बढ़ रहा है स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री

कैबिनेट ने 155mm/52 कैलिबर की 307 गन्स और 327 हाई मोबिलिटी गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद को मंजूरी दी है, जिसकी कीमत 7,000 करोड़ रुपये है. इसे डीआरडीओ, भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने मिलकर बनाया है. भारत में 16 डिफेंस पीएसयू, 430 से ज्यादा लाइसेंस कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई हैं, जो स्वदेशी उत्पादन को मजबूत कर रही हैं. निजी क्षेत्र का योगदान कुल उत्पादन का 21 फीसदी है.