8th Pay Commission: बढ़ेगी पर्सनल इनकम, बाजार को 2 लाख करोड़ का बूस्ट, सबसे ज्यादा यहां करेंगे खर्च

8वें वेतन आयोग को मंजूरी मिल गई है. इसी के साथ एक बहस शुरू हो गई है. बहस इस चीज की वेतन आयोग से सरकारी खजाने में तो कमी आती है लेकिन इससे अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत होता है. जानें क्या है पूरी गणित.

8वां वेतन आयोग और अर्थव्यवस्था Image Credit: @Freepik

8th Pay Commission and Boost of Economy: केंद्र सरकार ने देश के करीब एक करोड़ सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारकों को बजट से पहले खुशखबरी दी है. गुरुवार, 16 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वें वेतन आयोग की गठन को हरी झंडी दिखा दी है. इस मंजूरी के बाद, हर बार की तरह इस बार भी एक बहस की शुरुआत हो गई है.

वो यह है कि वेतन आयोग के गठन के बाद सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि लोगों के पास एक्स्ट्रा पैसा आने से अर्थव्यवस्था में डिमांड आती है. और इकोनॉमी का पहिया घूमता है, ऐसे में सरकार का GST कलेक्शन भी बढ़ेगा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि आठवें वेतन आयोग से इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा. यानी सरकार भी बोझ से ज्यादा फायदेमंद मान रही है..

इनकम बढ़ने के साथ बढ़ती है डिमांड

इनकम के साथ ऑटो से लेकर होम लोन जैसे सेक्टर में काफी तेजी आ जाती है.

  • 6वां वेतन आयोग के बाद 1 साल में ही वाहनों की बिक्री 14.22 फीसदी बढ़कर ढाई करोड़ रुपये हो गए.
  • होम लोन की डिमांड में भी एक साल में 11 फीसदी की बढ़ोतरी आई. 2017-18 में बैंकों ने कुल 1.43 लाख करोड़ रुपये के होम लोन दिए थे.
  • उसी तर्ज पर 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद इकोनॉमी में 2 लाख करोड़ रुपये तक आ सकते हैं.

उसी तर्ज पर 8वें वेतन आयोग के बाद अगर पेंशनभोगी और सरकारी कर्मचारियों की आय में बढ़ोतरी होती है तब उसका खर्च भी बढ़ेगा. अब इसको आंकड़ों से समझते हैं. देश में व्यक्तिगत आय 2016-17 में कुल 13.96 लाख करोड़ थी सातवें वेतन आयोग लगने के बाद वह बढ़कर 15.94 लाख करोड़ रुपये हो गया. यानी तकरीबन 14.18 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई.

प्राइवेट जॉब वालों को भी बढ़ती है सैलरी

इससे अर्थव्यवस्था में मांग और खपत, दोनों में तेजी आती है. इसका पहला फायदा यह होगा कि पैसा या तो बैंक में जाता है या बाजार में खर्च होता है. दूसरा फायदा ये कि पैसा अगर बाजार में जाता है तब सामानों की मांग में भी तेजी आती है. जब भी सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी हुई, प्राइवेट जॉब के क्षेत्रों में भी 5 फीसदी से 8 फीसदी तक वेतन बढ़ा है. ये बदलाव 7वें वेतन आयोग के बाद देखने को मिला था.

सरकारी खजाने में कैसे आएगी कमी?

दरअसल, जब भी वेतन आयोग का गठन होती है. सरकारी एक्सपेंस में नया खर्च जुड़ जाता है. इसी के साथ सरकार को सैलरी बिल में भी इजाफा करना पड़ता है जिससे बजट में बढ़ोतरी होती है. पिछले वेतन आयोग के उदाहरण से समझते हैं कि आखिर सरकार के खर्चे पर कितना भार बढ़ता है.

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6वें वेतन आयोग का सरकारी खर्चे पर 22,000 करोड़ रुपये का भार आया था वहीं 7वें आयोग में वह बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये हो गया था. अब इन्हीं तमाम इजाफों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग के बाद सैलरी बिल में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है. चूंकि 7वें आयोग की सिफारिशें 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त होंगी, 8वां वेतन आयोग अगले साल यानी 2026-27 में लागू हो सकता है. वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारियों की संख्या भी तकरीबन 4 लाख तक बढ़ गई है. तो साफ है कि सरकार का सैलरी बिल ऑल टाइम हाई पर होगा. लेकिन इसके बावजूद इकोनॉमी को बूस्ट इस खर्च की भरपाई कर सकता है.