90 घंटे की नसीहत: सैनिक-डॉक्टर-क्लर्क-मैनेजर-वकील सबकी है रिपोर्ट, कम सैलरी में ज्यादा काम

L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम के हफ्ते में 90 घंटे काम करने के बयाल को लेकर बहस छिड़ गई है. कई दिग्‍गज जहां इसके विपरीत सोच रखते हैं, तो कुछ का मानना है कि ये पर्सनल च्‍वाइस पर निर्भर करता है. मगर डेट के मुताबिक ज्‍यादा घंटे काम करने से प्रोडक्टिविटी घट रही है.

90 घंटे काम को लेकर मचा बवाल, जानें किस कैटेगरी के लोग करते हैं सबसे जयादा घंटे काम Image Credit: freepik

90 hours work: L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम ने हफ्ते में 90 घंटे और रविवार को काम करने की बात कहकर तूफान खड़ा कर दिया है. इस बयान के सामने आने के बाद से वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर दोबारा बहस छिड़ गई है. हालांकि उनकी बात से हर कोई सहमत नहीं है. हाल ही में जहां महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने क्‍वांटिटी की जगह क्‍वालिटी पर फोकस करने की बात कही थी, वहीं सीरम इंस्‍टीट्यूट के अदार पूनावाला ने भी गुणवत्‍ता पर फोकस करने की बात कही है. ज्‍यादातर विशेषज्ञों और इंडस्‍ट्री से जुड़े दिग्‍गजों का मानना है कि इकोनॉमी वाले देशों में लोग कम घंटे काम करते हैं, लेकिन उनकी प्रोडक्‍टिविटी और आउटपुट ज्‍यादा होती है. मगर क्‍या आपको पता है भारत में ऐसी भी नौकरी है जहां 90 घंटे काम होता है.

भारतीय सेना करती है सबसे ज्‍यादा घंटे काम

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार भारत में औपचारिक कार्यबल 52 से 57 घंटे तक काम करता है, जो दुनिया में सबसे ज्‍यादा है. अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से काम के घंटों में अंतर है. भारतीय सेना के कर्मचारी सबसे ज्‍यादा घंटे काम करते हैं, वे लगभग 90 घंटों तक अपनी सेवाएं देते हैं. बाकी की ड्यूटी इनसे कम ही रहती है.

किस कैटेगरी के कर्मचारी कितने घंटे करते हैं काम?

दूसरे देशों के मुकाबले भारतीय कितने घंटे करते हैं काम

चीन के ‘996’ कल्‍चर से इकोनॉमी को मिला बूस्‍ट

चीन में पहले ‘996’ वर्क कल्‍चर (सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम / सप्ताह में 6 दिन) का चलन था, जिससे इकोनॉमी का अच्‍छा बूस्‍ट मिलता था. चीनी श्रमिक प्रति घंटे 19.8 अंतर्राष्ट्रीय डॉलर कमाते हैं, जबकि भारतीय श्रमिक 10.7 अंतर्राष्ट्रीय डॉलर कमाते हैं, लेकिन इससे प्रोडक्टिविटी प्रभावित हुई है, जिसके चलते इस ट्रेंड को बदला जा रहा है.

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कितनी है भारतीय कर्मचारियों की कमाई?

2023 में, भारत की औसत मासिक आय पीपीपी के हिसाब से दुनिया में 12वें स्‍थान पर है. भारतीय कर्मचारियों की कमाई कई निम्न और निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं से भी कम है. भारत लेबर प्रोडक्‍टिविटी के मामले में 133 वें नंबर पर है. मगर वर्किंग घंटों से बढ़ोतरी से प्रोडक्टिविटी यानी उत्‍पादकता और जीवन की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है. भारत जी20 देशों के मुकाबले सबसे अधिक काम करता है, लेकिन वेतन कम है. यहां के कर्मचारी 49 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक काम कर रहे हैं. श्रम-संबंधी डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय कम वेतन पर लंबे समय तक काम कर रहे हैं, जिससे उत्पादकता काफी कम है. भारत में 51 फीसदी कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे से अधिक काम करते हैं. ILO के अनुसार यह 170 देशों में सबसे अधिक है. इसके विपरीत भारतीय कर्मचारी की न्यूनतम मासिक आय सबसे कम 220 डॉलर ही है. भारत में लेबर प्रोडक्टिविटी (किसी देश की अर्थव्यवस्था का प्रति घंटा उत्पादन) सिर्फ 8 डॉलर है जो विकासशील देशों में सबसे कम है.