पारे के साथ बढ़ेगा AC कंपनियों का मुनाफा! 2035 तक भारत में बिकेंगे 15 करोड़ नए एयर कंडीशनर : रिपोर्ट
क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग का असर अब रोजमर्रा के जीवन पर दिखने लगा है. दुनियाभर में तापमान तेजी से बढ़ रहा. बढ़ते पारे का असर भारत पर खासतौर पर पड़ा है. इसी वजह से जो एयर कंडीशनर पहले लग्जरी माने जाते थे, अब जरूरत का सामान बन गए हैं.

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया भर में औसत तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. भारत जैसे देश में गर्मी हमेशा से परेशान करने वाला मौसम रहा है. अब बढ़ते प्रदूषण की वजह से बढ़े हुए हीट इंडेक्स के साथ गर्मी का मौसम और भी मुश्किल भरा होता जा रहा है. भारत में भीषण गर्मी से निपटने के लिए अब एयर कंडीशनर का इस्तेमाल आम होता जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले एक दशक में भारत में 15 करोड़ नए एयर कंडीशनर बेचे जाएंगे. जाहिर तौर पर इसका फायदा AC बनाने वाली कंपनियों को मिलने वाला है. बहरहाल जानते हैं, रिपोर्ट में और क्या कहा गया है.
किसकी है यह रिपोर्ट?
अमेरिका के बर्कले में स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर यानी IECC की तरफ से किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले दशक में भारत में 13 से 15 करोड़ नए रूम एयर कंडीशनर लगने की उम्मीद है.
बढ़ेगी बिजली की मांग
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि AC की संख्या बढ़ने से भारत में 2035 तक देश की अधिकमत बिजली की मांग में सिर्फ AC की वजह से 180 गीगावाट से भी ज्यादा का इजाफा हो सकता है. बुधवार को प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है. इसका असर भारत के इलेक्ट्रिक ग्रिड पर भी देखने को मिल सकता है.
बिजली संकट से कैसे बचे भारत?
इस रिपोर्ट में उन समाधानों के बारे में भी चर्चा की गई है, जिनसे भारत आने वाले बिजली और ग्रिड से जुड़े संकट से बच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे तेजी से विकसित हो रही प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत को अगले 10 वर्षों में रूम एसी की ऊर्जा दक्षता को दोगुना करना होगा, ताकि बिजली की कमी के गंभीर संकट से बचा जा सके. ऊर्जा दक्षता को बढ़ाकर भारत के उपभोक्ता 2.2 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 26 अरब डॉलर तक की बचत कर सकते हैं.
क्यों खड़ा हो सकता है बिजली संकट?
स्टडी रिपोर्ट के लीड राइटर और यूसी बर्कले के फैकल्टी निकित अभ्यंकर कहते हैं कि फिलहाल, भारत में हर साल 1 से 1.5 करोड़ नए एसी बेचे जा रहे हैं. नीतिगत हस्तक्षेप के बिना 2030 तक नए AC की वजह से बिजली की डिमांड 120 गीगावाट और 2035 तक 180 गीगावाट तक पहुंच जाएगी. यह वृद्धि भारत की बिजली आपूर्ति से ज्यादा है. अगर भारत की इलेक्ट्रिक ग्रिड उन्नत नहीं होती है और बिजली उत्पादन नहीं बढ़ता है, तो 2026 की शुरुआत से ही बिजली की गंभीर कमी हो सकती है.
हर साल गर्मी में बढ़ रहा संकट
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल यानी 2024 में भारत में अधिकतम बिजली की मांग 30 मई को 250 गीगावाट को पार कर गई थी, जो अनुमानों से 6.3 फीसदी ज्यादा थी. भारत की कुल बिजली खपत में घरेलू क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2012-13 में 22 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 25 फीसदी हो गई है. इस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा बढ़ते तापमान से निजात के पाने के लिए एसी की बढ़ती जरूरत की वजह से है. 2024 की गर्मियों में रिकॉर्ड तोड़ तापमान के बीच कमरे के एयर कंडीशनर की बिक्री में साल-दर-साल 50 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
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