अडानी को नहीं रास आया फॉर्च्यून तेल, बेचकर निकले बाहर, जानें क्यों हुआ घाटा और निवेशकों का फ्यूचर

अडानी एंटरप्राइजेज ने अडानी विल्मर में अपनी 44 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है. अब अडानी ग्रुप अपना पूरा ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित करने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेकहोल्डर्स की संपत्ति में हर साल 31 फीसदी की गिरावट हो रही है. अब जब खुद प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, तो निवेशकों के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचते हैं.

अडानी विल्मर Image Credit: money9live.com

Adani Wilmar: फॉर्च्यून ऑयल ने भले ही भारत के घर-घर में अपनी पहचान बना ली है, लेकिन यह adani Wilmar और उसके शेयरधारकों के लिए अधिक फायदेमंद साबित नहीं हो सका. लिस्टिंग के शुरुआती दौर में इस शेयर ने निवेशकों का पैसा तीन गुना से अधिक बढ़ाया, लेकिन उसके बाद इसमें लगातार गिरावट देखने को मिली. वैल्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, इसके स्टेकहोल्डर्स की संपत्ति में हर साल औसतन 31% की गिरावट हो रही है.

इसमें कोई संदेह नहीं कि अडानी समूह अब इस बिजनेस से बाहर निकल रहा है और अपने पूरा ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर केंद्रित कर रहा है. लेकिन यह फैसला खाद्य तेल और एफएमसीजी (FMCG) सेगमेंट में सीमित बढ़ोतरी की संभावना को भी दर्शाता है. आइए जानते हैं कि प्रोमोटर्स ने इस व्यवसाय से बाहर निकलना क्यों बेहतर समझा और निवेशकों पर क्या असर होगा.

वित्तीय स्थिति में गिरावट

पिछले दो वर्षों में अडानी विल्मर के रेवेन्यू में सालाना आधार पर 3 फीसदी की गिरावट हुई है. यह किसी ऐसे बिजनेस के लिए एक चिंताजनक संकेत है जिसका वॉल्यूम हाई होता है. सेल्स में कमी और घटते मार्जिन के कारण मुनाफे में 41 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही तक

  • रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 4 फीसदी
  • रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) 10.4 फीसदी तक सिमट गए हैं.

कम मार्जिन

अडानी विल्मर का 80 फीसदी रेवेन्यू खाद्य तेल से आता है, लेकिन इस पर मार्जिन केवल 4-5% ही है. इसके अलावा, कंपनी के लिए 60 फीसदी की क्षमता उपयोग दर (कैपिसिटी यूटिलाइजेशन) को पार करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है.

कमजोर FMCG बिजनेस

FMCG सेगमेंट में वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में EBIT ( ब्याज और करों से पहले की आय) मार्जिन मात्र 1.5 फीसदी रहा, जिससे इस सेगमेंट में लाभ सीमित हो गया.

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क्या है पूरा मामला

गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अडानी एंटरप्राइजेज ने अडानी विल्मर में अपनी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी समूह अब अपने कोर इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करेगा. समूह ने अडानी विल्मर में अपनी 44% हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है.

जहां एक ओर खाद्य तेल इस्तेमाल में हर साल 8 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है, वहीं कंपनी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. पहले जहां इसने निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया था, वहीं अब इसके प्रदर्शन में निरंतर गिरावट जारी है. ऐसे में जब प्रमोटर खुद इस बिजनेस से बाहर निकल रहे हैं, तो निवेशकों के पास भी इसमें ज्यादा दिनों तक बने रहने की संभावना कम ही है.

डिसक्‍लेमर– मनी9लाइव किसी भी शेयर या म्‍यूचुअल फंड में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां सिर्फ शेयरों के बारे में जानकारी दी गई है. निवेश से पहले जरूरी है कि आप किसी वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें.