सस्ते टमाटर से किफायती हुई वेज थाली, पिछले साल के मुकाबले 3% घटे दाम
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CRISIL की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 में वेज थाली की कीमत पिछले साल के मुकाबले घट गई है. टमाटर के दाम घटने की वजह से थाली की कीमत में असर पड़ा है, हालांकि दूसरी सब्जियों के महंगे होने की वजह से इसकी कीमत बहुत ज्यादा नहीं घटी है.

Roti Rice Rate: इन-दिनों मार्केट में टमाटर की भरमार है. इसके दाम में आई गिरावट ने आम लोगों को राहत दी है. इससे घर में बनने वाली शाकाहारी यानी वेज थाली सस्ती हो गई है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CRISIL की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 में वेज थाली की कीमत पिछले साल की तुलना में 3% कम हो गई है, जबकि नॉनवेज थाली की सालाना कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि महीने के आधार पर ये 5% सस्ता हो गया है.
क्यों सस्ती हुई वेज थाली?
शाकाहारी थाली के सस्ते होने की सबसे बड़ी वजह टमाटर के दामों में 34% की गिरावट रही. मार्च 2024 में जहां टमाटर 32 रुपये प्रति किलो था, वहीं मार्च 2025 में यह घटकर 21 रुपये प्रति किलो हो गया. देश भर में टमाटर की फसल 29% बढ़ी, खासकर दक्षिणी राज्यों में रबी की फसल शानदार रही. वहां हुई अच्छी पैदावार ने टमाटर को सस्ता कर दिया. इससे सालाना आधार पर वेज थाली 3 फीसदी सस्ती हो गई. जबकि मार्च 2025 में ये 2 फीसदी घटी है. हालांकि आलू, प्याज और खाने के तेल की कीमतों में सालाना क्रमशः 2%, 6% और 19% की बढ़ोतरी हुई, जिसकी वजह शाकाहारी थाली ज्यादा सस्ती नहीं हो पाई. हालांकि मार्च 2025 में इनके दाम घटे हैं. बाजार में नई फसल आने के चलते मार्च में आलू 5%, प्याज 7% और टमाटर की कीमत 8% घटी है.
नॉन वेज थाली कितनी हुई सस्ती?
नॉन वेज यानी मांसाहारी थाली में ब्रायलर एक अहम हिस्सा है. ये थाली की लागत का करीब 50% होता है. ब्रॉयलर की कीमत में सालाना 2 फीसदी के इजाफे के चलते नॉन वेज थाली की कीमत फ्लैट रही. हालांकि मार्च 2025 में ब्रायलर के दामों में 7% की गिरावट आई. उत्तर में आपूर्ति बढ़ने और दक्षिण में बर्ड फ्लू की अफवाहों के चलते मांग घट गई, जिससे कीमतें नीचे आईं हैं, इसका असर थाली की कीमत पर भी पड़ा. मार्च महीने में नॉन वेज थाली 5 फीसदी सस्ती हुई है.
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कैसे तय होती है थाली की कीमत?
वेज और नॉनवेज थाली की ये औसत लागत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में सब्जियों, अनाज समेत अन्य चीजों पर निर्भर करती हैं. थाली की कीमत में बदलाव के पीछे अनाज, दाल, ब्रायलर, सब्जियां, मसाले, तेल और रसोई गैस जैसी शामिल होती हैं. इसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है.
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