3 महीने के स्‍लोडाउन के बाद मैन्युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर ने पकड़ी रफ्तार, PMI डेटा में दिखा पॉजिटिव संकेत

एसएंडपी ग्लोबल की ओर से जारी पीएमआई डेटा के मुताबिक अक्‍टूबर में भारत के मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में तेजी देखने काे मिली है, जिससे यह बढ़कर 57.5 हो गया है. यह अपने पूर्वानुमान से ज्‍यादा है.

PMI डेटा हुआ जारी Image Credit: freepik

बीते तीन महीने से धीमी गति से बढ़ रहे मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर यानी विनिर्माण क्षेत्र में दोबारा तेजी लौट आई है. एसएंडपी ग्लोबल की ओर से जारी पीएमआई डेटा के मुताबिक अक्‍टूबर में इसमें इजाफा देखने को मिला है. यह सितंबर में जहां आठ महीने के निचले स्तर 56.5 पर पहुंच गया था, वहीं अक्टूबर में यह बढ़कर 57.5 हो गया. डेटा के अनुसार मांग में सुधार की वजह से स्थिति बेहतर हुई है.

सोमवार को जारी पीएमआई डेटा के अनुसार पिछले तीन महीने से देश के विकास का पहिया थम गया था, लेकिन अक्टूबर में इसमें वृद्धि देखने को मिली. मांग में सुधार से रोजगार सृजन में मदद मिली है. साथ ही बेहतर व्यावसायिक दृष्टिकोण सामने आया है. एसएंडपी ग्लोबल की ओर से जारी डेटा में पाया गया कि अक्टूबर में हुई बढा़ेतरी, इसके पूर्वानुमान 57.4 से ऊपर था.

तेजी की क्‍या है वजह?

एचएसबीसी इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अक्तूबर में भारत के मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर के पीएमआई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, क्योंकि इस दौरान अर्थव्यवस्था के ऑपरेशन्‍स में काफी सुधार किए गए. नए ऑर्डरों के मिलने और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में तेज़ी से हो रही वृद्धि भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए मज़बूत मांग वृद्धि की ओर इशारा करती है. मांग में वृद्धि के साथ आउटपुट और नए ऑर्डर सब इंडाइसेस तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए.

क्‍यों मिले ज्‍यादा ऑर्डर?

अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारतीय वस्तुओं की चाहत के कारण एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और यू.एस. से ऑर्डर मिले. मांग में यही तेज़ी आने वाले साल के लिए संभावनाओं को और बढ़ाएगी. लगातार मज़बूत उपभोक्ता मांग, नए उत्पाद रिलीज़ और स्वीकृति के लिए लंबित बिक्री की उम्मीदों के कारण कारोबारियों का आत्मविश्वास भी बढ़ा है. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कई फ़र्मों ने सितंबर की तुलना में ज़्यादा कर्मचारी रखे हैं इससे रोजगार के मौके बने हैं.