कुंभ मेला पर लिखी स्टीव जॉब्स की चिट्ठी करोड़ों में बिकी, जानें- ऐसा क्या था लेटर में खास

Steve Jobs Letter: कुंभ मेले में जाने की प्लानिंग के बारे में 1974 में स्टीव जॉब्स का हाथ से लिखा एक पत्र करोड़ों में नीलाम हुआ है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रयागराज पहुंचकर लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने अपने पति स्टीव जॉब्स की एक इच्छा पूरी की है.

स्टीव जॉब्स ने कुंभ मेले को लेकर लिखा था लेटर. Image Credit: Tv9 Bharatvarsh

Steve Jobs Letter: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ मेले में एप्पल के को-फाउंडर रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स पहुंची हैं. प्रयागराज पहुंचकर लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने अपने पति स्टीव जॉब्स की एक इच्छा पूरी की है. ऐसा एक पत्र से अनुमान लगाया जा रहा है. कुंभ मेले में जाने की योजना के बारे में 1974 में स्टीव जॉब्स का हाथ से लिखा एक पत्र करोड़ों में नीलाम हुआ है. स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त टिम ब्राउन से आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ के प्रति अपने आकर्षण को व्यक्त किया था.

कितने में बिका लेटर?

स्टीव जॉब्स के हाथ से लिखे उस पत्र ने इतिहास रच दिया है, जिसमें उनके आध्यात्मिक और काव्यात्मक पक्ष की एक दुर्लभ झलक मिलती है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जॉब्स द्वारा नीलाम किया जाने वाला यह पहला व्यक्तिगत पत्र है, जिसकी कीमत 500,312.50 अमेरिकी डॉलर (4.32 करोड़ रुपये) है.

एप्पल के शुरू होने से पहले लिखा था

जॉब्स ने 19वें जन्मदिन, 23 फरवरी को अपने बचपन के दोस्त टिम ब्राउन को संबोधित करते हुए लेटर में ज़ेन बौद्ध धर्म पर विचार करते हैं और भारत में लगने वाले कुंभ मेला शामिल होने के अपने सपने को बताते हैं. यह पत्र स्टीव वोज़्नाइक के साथ एप्पल की स्थापना से ठीक दो साल पहले स्टीव जॉब्स ने लिखा था.

पत्र में क्या लिखा था?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पत्र में स्टीव जॉब्स ब्राउन द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए दिखाई देते हैं. वे चिंतित दिखाई देते हैं और कहते हैं कि वे कई बार रोए हैं. मैं कुंभ मेले के लिए भारत जाना चाहता हूं, जो अप्रैल में शुरू होता है. मैं मार्च में किसी समय जाऊंगा, हालांकि तक इसको लेकर निश्चित नहीं हूं. जॉब्स पहले से ही हिंदू धर्म से बहुत प्रभावित दिखते हैं, उन्होंने अपने पत्र के अंत में ‘शांति, स्टीव जॉब्स’ लिखा है.

प्रयागराज में हैं लॉरेन पॉवेल जॉब्स

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जिन्हें उनके गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि ने हिंदू नाम ‘कमला’ दिया है. वे 40 सदस्यीय टीम के साथ प्रयागराज पहुंची हैं. वो ध्यान, क्रिया योग और प्राणायाम सहित विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं में भाग ले रही हैं. कमला का महाकुंभ में आना भारतीय परंपराओं के प्रति उनके गहरे सम्मान और उनकी चल रही आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाता है.

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