Aviva India पर 653 करोड़ का भारी टैक्स जुर्माना! फर्जी बिल बना करोड़ों के टैक्स पेमेंट से बचने का है आरोप

भारतीय बीमा क्षेत्र में एक बड़े विवाद ने हलचल मचा दी है, जहां एक प्रमुख कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं. सरकार की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिससे करोड़ों रुपये के फर्जी लेन-देन और टैक्स चोरी की बात सामने आई है.

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Aviva India face Penalty: भारतीय टैक्स अधिकारियों ने ब्रिटिश बीमा कंपनी अवीवा की भारतीय इकाई को 7.5 मिलियन डॉलर (करीब 653 करोड़ रुपये) का बैक टैक्स और जुर्माना चुकाने का आदेश दिया है. IT डिपार्टेमेंट के अधिकारियों के जांच में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने फर्जी इनवॉइस तैयार कर अवैध कमीशन भुगतान किया और गलत टैक्स क्रेडिट का दावा किया. यह आदेश 5 फरवरी को जारी किया गया था जिसे रॉयटर्स ने रिव्यू किया है. हालांकि, इसे अभी तक सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है.

कैसे हुआ टैक्स घोटाला?

अवीवा इंडिया ने 2017 से 2023 के बीच अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कथित तौर पर 26 मिलियन डॉलर ऐसे वेंडर्स को भुगतान किए जो केवल नाम के लिए मौजूद थे. इन वेंडर्स के जरिए कंपनी अपने एजेंट्स को नियामक सीमा से अधिक कमीशन देने का तरीका निकाल रही थी. टैक्स अधिकारियों ने दावा किया कि इस फर्जी बिलिंग और कैश भुगतान सिस्टम के जरिये कंपनी ने 5.2 मिलियन डॉलर का टैक्स चोरी किया.

रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में अधिकारियों ने पाया कि इन वेंडर्स का असली उद्देश्य अवीवा को “बोगस” टैक्स क्रेडिट दिलाना था. आदेश में कहा गया है, “वेंडर्स सिर्फ मुखौटा थे जिनका उपयोग अवीवा ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ उठाने के लिए किया.”

अवीवा ने क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक, अवीवा इंडिया ने अपने बचाव में कहा कि ये आरोप गलत और अस्थिर हैं क्योंकि वेंडर्स असली थे और उन्होंने कंपनी के लिए सेवाएं दी थीं. हालांकि, टैक्स अधिकारियों के पास कंपनी के आंतरिक ईमेल और संदेशों के स्क्रीनशॉट हैं जिनमें अवीवा के अधिकारी और इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर्स इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं.

ज्वॉइंट टैक्स कमीशन आदित्य सिंह यादव ने कंपनी को 3.8 मिलियन डॉलर के टैक्स की चोरी का दोषी पाया और 100 फीसदी पेनल्टी लगाते हुए 7.5 मिलियन डॉलर की राशि चुकाने का आदेश दिया.

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‘एजेंट मेंटर’ मॉडल के जरिए टैक्स चोरी?

टैक्स जांच में यह भी सामने आया कि अवीवा ने ‘एजेंट मेंटर’ नामक एक मॉडल अपनाया था जिसके तहत ट्रेनिंग के नाम पर फर्जी इनवॉइस जारी कर एजेंट्स को अतिरिक्त कमीशन दिया जाता था. यह मॉडल 2013 में ही लागू किया गया था और इसे कंपनी के शीर्ष अधिकारियों, जिनमें तत्कालीन सीईओ, लीगल डायरेक्टर और फाइनेंस डायरेक्टर शामिल थे ने मंजूरी दी थी.

यह मामला भारतीय बीमा क्षेत्र में चल रही एक बड़ी जांच का हिस्सा है, जिसमें 12 से अधिक बीमा कंपनियों पर 610 मिलियन डॉलर की टैक्स चोरी, ब्याज और पेनल्टी का आरोप है.