अडानी पावर पर बांग्लादेश का हमला, अरबों डॉलर के हेरफेर का लगाया आरोप

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी पावर के बीच विवाद गहराता जा रहा है. बिजली समझौते से जुड़े आरोपों और टैक्स छूट पर उठे सवालों ने इस मामले को और जटिल बना दिया है. जानिए इस मुद्दे के सभी पहलुओं और दोनों पक्षों के दावों के बारे में.

गौतम अडानी Image Credit: @Tv9

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अब भारत के कारोबारी गौतम अडानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारतीय उद्योगपति Gautam Adani की कंपनी, अडानी पावर पर अरबों डॉलर का एक बिजली समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार का आरोप है कि कंपनी ने गोड्डा स्थित अपने कोयला आधारित बिजली संयंत्र को भारत सरकार की ओर से दी गई टैक्स छूट का लाभ बांग्लादेश को नहीं दिया. यह समझौता 2017 में हुआ था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बिना किसी निविदा प्रक्रिया के मंजूरी दी थी.

टैक्स छूट और अनुबंध की शर्तें

समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस समझौते के तहत अडानी पावर को टैक्स छूट से जुड़े लाभ तुरंत बांग्लादेश को साझा करने थे. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) ने सितंबर और अक्टूबर 2024 में भेजे पत्रों में टैक्स छूट का लाभ साझा करने की मांग की लेकिन BPDB अधिकारियों के अनुसार, उन्हें अडानी से कोई ठोस जवाब नहीं मिला. BPDB के अधिकारियों का अनुमान है कि टैक्स छूट का लाभ देने से बिजली दरों में 0.35 सेंट प्रति यूनिट की कमी हो सकती थी, जिससे बांग्लादेश को 28.6 मिलियन डॉलर तक की बचत होती.

बकाया भुगतान और बिजली आपूर्ति में कटौती

जुलाई 2023 में बिजली आपूर्ति शुरू होने के बाद से बांग्लादेश अडानी पावर को भुगतान नहीं कर सका. अडानी पावर का दावा है कि बांग्लादेश पर 900 मिलियन डॉलर का बकाया है, जबकि BPDB का कहना है कि यह राशि 650 मिलियन डॉलर के करीब है. भुगतान विवाद के चलते अडानी पावर ने 31 अक्टूबर 2024 को गोड्डा संयंत्र से बिजली आपूर्ति आधी कर दी. रॉयटर्स के मुताबिक, BPDB के चेयरमैन एमडी रेज़ाउल करीम ने इस कदम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि “बिजली आपूर्ति में कटौती उस समय की गई जब हमने अक्टूबर में 97 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था जो इस साल का सबसे बड़ा भुगतान था.”

अडानी पावर और बांग्लादेश के बीच बातचीत

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नवंबर 2024 में एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया, जो शेख हसीना सरकार द्वारा हस्ताक्षरित प्रमुख ऊर्जा समझौतों की समीक्षा कर रहा है. साथ ही, अदालत ने इस समझौते में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है. ऊर्जा मंत्री मुहम्मद फौजुल कबीर खान ने कहा, “अगर जांच में रिश्वतखोरी या अनियमितता साबित होती है तो अदालत का आदेश ही तय करेगा कि समझौता रद्द किया जाएगा या नहीं.”

अडानी पावर ने बांग्लादेश के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसने सभी अनुबंधीय शर्तों का पालन किया है. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें समझौते की समीक्षा की किसी योजना की जानकारी नहीं है. इसके बावजूद बांग्लादेश भविष्य में बिजली दरों को कम करने और कर लाभ प्राप्त करने के लिए अनुबंध पर दोबारा बातचीत करने की योजना बना रहा है.

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शेख हसीना के बेटे ने आरोप को किया खारिज

बांग्लादेश के मौजूदा प्रधानमंत्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अगस्त 2024 में एक छात्र आंदोलन के बाद सत्ता संभाली. उन्होंने कहा है कि “देश के पास अब घरेलू उत्पादन क्षमता है और अडानी पावर के बिना भी काम चल सकता है.”
शेख हसीना इस विवाद के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखी गई हैं. उनके बेटे सजीब वाजेद ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मुझे इस समझौते की जानकारी नहीं है, लेकिन मुझे यकीन है कि इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ होगा.” यह विवाद ऐसे वक्त में उभर कर सामने आया है जब भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं.