बैंकों के लिए टेंशन की खबर, पर्सनल और एग्रीकल्चर लोन में मंदी, सालाना आधार पर आई 6 फीसदी गिरावट

इस साल जुलाई में बैंकों के कर्ज वितरण में 13.7 फीसदी की वृद्धि हुई है. पिछले साल यह वृद्धि 19.5 फीसदी थी. इस तरह से बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज में साल-दर-साल आधार पर 6 फीसदी की गिरावट आई है. बैंकों के लिए यह टेंशन की खबर है, क्योंकि कर्ज बैंक के लिए आय का सबसे बड़ा जरिया हैं.

ऑनलाइन या ऑफलाइन लोन, जानें कौन सा पर्सनल लोन है बेहतर Image Credit: jayk7/Moment/Getty Images

पिछले साल जुलाई की तुलना में इस साल बैंकों के कर्ज वितरण के विस्तार में 6 फीसदी की कमी आई है. खासतौर पर पर्सनल और एग्रीकल्चर सेक्टर में दिए जाने वाले कर्ज में भारी कमी आई है. एक शोध रिपोर्टों में बताया गया है कि यह कमी असल में बैंकों की तरफ से क्रेडिट डिपोजिट अनुपात को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की वजह से आई है. पर्सनल और एग्रीकल्चर लोन काफी जोखिम भरे होते हैं. बैंकों ने अपने क्रेडिट डिपोजिट अनुपात को सुधारने के लिए ऐसे जोखिम भरे कर्ज वितरण में कमी की है. यही वजह है कि बैंकों की कर्ज वृद्धि धीमी हुई है. इस साल जुलाई बैंकों ने कर्ज वितरण में 13.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, जबकि जुलाई 2023 में यह 19.5 फीसदी थी. केयरएज की एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक की कर्ज वृद्धि में पिछले साल की तुलना में सभी क्षेत्रों में कमी आई है.

रिपोर्ट के मुताबिक एक साल की अवधि में उद्योगों को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रों में कर्ज का विस्तार धीमा हुआ है. खासतौर पर पर्सनल लोन में पिछले साल की 31.2 फीसदी की वृद्धि की तुलना में इस साल 14.4 फीसदी वृद्धि ही हुई है. इसके अलावा वाहनों पर कर्ज में भी कमी आई है. इसी तरह जुलाई 2023 में कृषि क्षेत्र को दिया जाने वाला कर्ज 5.8 फीसदी से घटकर इस साल जुलाई में 4.1 फीसदी रह गया. बैंकों ने इस मंदी के लिए मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में मौसमी दबाव को जिम्मेदार ठहराया है. खासतौर पर उत्तर भारत में शुरुआती महीनों में कृषि क्षेत्र में प्रचंड गर्मी की वजह से भारी दबाव देखा गया.

रिपोर्ट में बताया गया है कि सेवा क्षेत्र में जुलाई 2023 में 23.4 फीसदी से कर्ज की वृद्धि हुई थी. वहीं, जुलाई 2024 में सालाना आधार पर यह वृद्धि में 14 फीसदी ही रही है. वृद्धि में गिरावट के पीछे एनबीएफसी और व्यापार क्षेत्रों में भी कर्ज के विस्तार में कमी है. हालांकि, वाणिज्यिक अचल संपत्ति में वृद्धि से इसकी थोडी भरपाई जरूर हुई. इसके अलावा उद्योग क्षेत्र में ऋण वृद्धि पिछले वर्ष जुलाई में 5.2 फीसदी से इस साल जुलाई में बढ़कर 10.1 फीसदी की रही है.

व्यापक स्तर पर बैंकों के कर्ज की स्थिति

विशेषज्ञों के मुताबिक बैंकिंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कर्ज वृद्धि में मंदी देखने को मिल सकती है. केयरएज की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष व्यापक रूप से बैंकों की कर्ज वृद्धि में कमी आ सकती है. खासतौर पर बैंक जहां असुरक्षित खुदरा क्षेत्र में संयम के साथ कर्ज बांट रहे हैं. वहीं, कॉर्पोरेट की तरफ से कर्ज लेने में ब्याज दरों में संभावित कटौती को ध्यान में रखकर सतर्कता बरती जा रही है. इसके अलावा रिजर्व बैंक की तरफ से बार-बार बैंकों से जमा आधार को बढ़ाने को कहा जा रहा है. इसकी वजह से भी बैंक कर्ज बांटने में संयमित रुख अपना रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) मानकों के मुताबिक क्रेडिट डिपोजिट प्रबंधन और कर्ज की मांग दोनों वजह से बैंकों को कर्ज के विस्तार के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.