वादा पूरा करने के लिए भाजपा को चाहिए कम से कम 40000 करोड़, जानें कैसी है दिल्ली के खजाने की सेहत
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की वापसी हुई है. इस चुनाव में भाजपा ने कई वादे किए हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए भारी खर्च करना पड़ेगा. भाजपा ने महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने का वादा किया है, जिसके लिए सालाना 11,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

Delhi Government Financial Challenges: कई बार वादे मुफ्त होते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना महंगा साबित होता है. दिल्ली चुनाव का परिणाम आ गया है, और भारतीय जनता पार्टी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापस आई है. चुनाव खत्म होने के बाद अब चर्चा फ्रीबीज और इस पर होने वाले खर्च को लेकर शुरू हो गई है. दिल्ली में भाजपा ने आम आदमी पार्टी की राह पर चलते हुए सत्ता में वापसी के लिए कई फ्रीबीज की घोषणा की है. इनमें महिलाओं को 2,500 रुपये की मासिक गारंटी और बुजुर्गों के लिए 2,500 रुपये की मासिक पेंशन (70 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए 3,000 रुपये तक) का वादा शामिल है.
इसके अलावा, भाजपा ने गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपये देने और केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा का भी आश्वासन दिया है. इन वादों को पूरा करने के लिए धन जुटाना एक बड़ी चुनौती होगी. केवल महिलाओं ,बुजुर्गों और वेल्फेयर स्कीम को चलाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की जरुरत होगी. जबकि दिल्दिली ल्ली सरकार ने 2024-25 में 58,750 करोड़ रुपये के कुल टैक्स रेवेन्यू संग्रह का अनुमान लगाया है, वहीं पिछले वर्ष यह 53,680 करोड़ रुपये था.
महिलाओं पर सालाना 11,000 करोड़ रुपये का खर्च
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के चुनाव में महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने का वादा किया है. 2500 रुपये हर महीने देने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ने की संभावना है.TOi की रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए भाजपा सरकार को 11,000 करोड़ रुपये हर साल खर्च करना होगा.
पेंशन के लिए 4,100 करोड़ रुपये की जरुरत
भारतीय जनता पार्टी ने बुजुर्गों के लिए 2,500 रुपये और 70 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए 3,000 रुपये मासिक पेंशन का वादा किया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 60 वर्ष से अधिक उम्र के 24,44,476 लोग हैं, जिनमें से 13,78,797 लोग 60-69 वर्ष की आयु के हैं और 2,500 रुपये पेंशन के पात्र होंगे. इस योजना को लागू करने के लिए सालाना 4,100 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
इसके अलावा, भाजपा के अन्य वादों, जैसे कि यमुना की सफाई (जो इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा बना) और तीन वर्षों में दिल्ली के लैंडफिल को खत्म करने के लिए भी पर्याप्त पैसों की जरूरत होगी. रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने यमुना पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
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वेलफेयर स्कीम के लिए 25,000 करोड़ रुपये की जरुरत
इस चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी ने कई वेलफेयर स्कीम की घोषणा की थी. TOI के अनुसार, इन योजनाओं को लागू करने के लिए नई सरकार को सालाना 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी. इसमें आम आदमी पार्टी की मुफ्त पानी और बिजली योजनाओं को जारी रखने के लिए आवश्यक 11,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं.
खर्च की लंबी सूची
इन योजनाओं के अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है:
- स्वास्थ्य क्षेत्र: सात नए अस्पतालों और पहले से स्वीकृत 17 अस्पतालों के विस्तार के लिए 10,200 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. इसके अलावा, इन सुविधाओं के संचालन के लिए 8,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट जरूरी होगा.
- दिल्ली मेट्रो: तीसरे चरण को पूरा करने और चौथे चरण के विस्तार के लिए 2,700 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.
- प्रदूषण नियंत्रण: यह दिल्ली की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, जिसके लिए अलग से फंड की आवश्यकता होगी. बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है.
- सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर: बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है. दिल्ली सरकार का सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर फंड 2023-24 में 3,126 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में घटकर 1,768 करोड़ रुपये रह गया है.
योजना | विवरण | खर्च (करोड़ रुपये में) |
महिलाओं को मासिक भत्ता | महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने का वादा | 11,000 |
बुजुर्गों के लिए पेंशन | 60-69 वर्ष के बुजुर्गों को 2,500 रुपये और 70+ वर्ष के बुजुर्गों को 3,000 रुपये | 4,100 |
वेलफेयर स्कीम | विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं, जिनमें मुफ्त पानी और बिजली शामिल हैं | 25,000 |
दिल्ली मेट्रो | तीसरे चरण को पूरा करने और चौथे चरण के विस्तार के लिए | 2,700 |
दिल्ली में कितना और कहां खर्च होता है पैसा
दिल्ली का बजट 76,000 करोड़ रुपये है, जिसमें आम आदमी पार्टी ने सबसे अधिक 22 फीसदी (16,396 करोड़ रुपये) शिक्षा के लिए तय है. इसके बाद प्रमुख खर्च इस प्रकार हैं:
- आवास और शहरी विकास: 9,800 करोड़ रुपये (13 फीसदी)
- स्वास्थ्य सेवाएं और सार्वजनिक स्वास्थ्य: 8,685 करोड़ रुपये (11 फीसदी)
- ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर: 7,470 करोड़ रुपये (10 फीसदी)
- जल आपूर्ति और स्वच्छता: 7,195 करोड़ रुपये (9 फीसदी)
- सामाजिक सुरक्षा और कल्याण: 6,694 करोड़ रुपये
वर्ष | फिस्कल सरप्लस/डेफिसिट (%) | रेवेन्यू सरप्लस/डेफिसिट (%) | प्राइमरी सरप्लस/डेफिसिट (%) |
---|---|---|---|
2022-23 | 0.4 | 1.4 | 0.8 |
2023-24 | -0.7 | 0.4 | -0.4 |
2024-25 | -0.5 | 0.3 | डेटा उपलब्ध नहीं |
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