सरकार ने बंद की Sovereign Gold Bond स्कीम, निवेशकों को मिल रहा था 160 फीसदी का बंपर रिटर्न

Sovereign Gold Bond SGB स्कीम के सरकार ने उधारी लागत बढ़ने के कारण को बंद करने का फैसला लिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के बाद प्रेस कॉफ्रेंस में इसकी पुष्टि की. RBI ने फरवरी 2023 में आखिरी बार 8,008 करोड़ रुपये के SGB जारी किए थे.

केंद्र सरकार ने SGB स्कीम को बंद करने का फैसला लिया है. Image Credit: @Tv9

Sovereign Gold Bond: केंद्र सरकार ने Sovereign Gold Bond (SGB) स्कीम को बंद करने का फैसला लिया है. सरकार ने यह कदम सोने की बढ़ती कीमतों और लगातार बढ़ती उधारी लागत को देखते हुए उठाया है, क्योंकि इस स्कीम के तहत सरकार को ऊंची ब्याज दर का भुगतान करना पड़ रहा था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के बाद मीडिया से बातचीत में इसकी पुष्टि की , SGB स्कीम की सीरीज III ने पिछले 8 सालों में निवेशकों को 160% तक का रिटर्न दिया है.

SGB स्कीम क्यों बंद की गई?

आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बताया कि SGB योजना को बंद करने का निर्णय बाजार से उधारी और बजट वित्तीय मैनेजमेंट (Budget Financing) को ध्यान में रखकर लिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह तय करना जरूरी था कि इस एसेट क्लास को समर्थन देना जारी रखना चाहिए या नहीं. हालिया अनुभवों के आधार पर यह योजना सरकार के लिए महंगा उधारी विकल्प साबित हुई, इसलिए इसे जारी न रखने का फैसला लिया गया.

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बजट आवंटन और SGB जारी करने की स्थिति

डिजिटल गोल्ड को बढ़ावा देना था उद्देश्य

SGB स्कीम भारत सरकार द्वारा 2015 में शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य फिजिकल गोल्ड की खरीद को कम करना और डिजिटल गोल्ड निवेश को बढ़ावा देना था. इसमें निवेशक पेपर गोल्ड में निवेश कर सकते थे. बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि 8 साल थी, लेकिन 5 साल बाद आंशिक रूप से रिडीम किया जा सकता था. शुरुआत में ब्याज दर 2.75% वार्षिक थी, जिसे बाद में 2.5% किया गया और यह पूरी अवधि के लिए स्थिर रही.

निवेशकों को मिला आकर्षक रिटर्न

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, SGB के तहत निवेशकों को 9-11% वार्षिक रिटर्न के साथ अतिरिक्त 2.5 फीसदी निश्चित ब्याज मिला. उदाहरण के लिए, SGB 2016-17 सीरीज I को 3,119 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर जारी किया गया था, जिसमें 2.75% ब्याज शामिल था.