Budget 2025: रघुराम राजन बोले, GDP ग्रोथ की कहानी खूबसूरत, पर मिडिल क्लास की हालत पस्त
बजट से पहले रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के मिडिल क्लास से जुड़ी चिंताओं को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी ग्रोथ की कहानी बड़ी हसीन है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि मिडल क्लास की हालत पस्त है.
मशहूर अर्थशास्त्री और भारतीय रिवर्ज बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बजट 2025 से पहले भारत की जीडीपी ग्रोथ और खासतौर पर मिडिल क्लास से जुड़ी चिंताओं को उजागर किया है. रघुराम राजन का कहना है कि जीडीपी विकास दर का पूर्वानुमान 6.4% के आसपास है और भारत का लोअर मिडिल क्लास संघर्ष कर रहा है. यह बेहद चिंताजनक स्थिति है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विस्तार मिडिल क्लास की बेहतरी के लिए यह बहुत जरूरी है कि निजी क्षेत्र के विकास पर ज्यादा जोर दिया जाए.
मोजो को दिए एक साक्षात्कार में रघुराम राजन ने कहा, “जीडीपी की कहानी के साथ, अंतर्निहित तथ्य नहीं बदले हैं. उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर खासे चिंतित हैं कि भारत में मांग और खपत ऊपरी छोर को छोड़कर मजबूती से नहीं बढ़ रही है. नौकरियों की कमी के कारण लोअर मिडिल क्लास को नुकसान हो रहा था. पिछले दिनों में जीडीपी ग्रोथ के बावजूद यह समस्या कायम है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को कहा कि वित्त वर्ष 25 में भारत की जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान है, जो चार साल में सबसे धीमी दर है. इसके अलावा, जुलाई-सितंबर तिमाही में निजी अंतिम उपभोग व्यय पिछली तिमाही में सात तिमाहियों के उच्च स्तर 7.4% से घटकर 6% हो गया है. यह दो आंकड़े बताते हैं कि देश में मिडिल क्लास की हालत पस्त है.
प्राइवेट सेक्टर भी दे योगदान
इन्हीं आंकड़ों पर चर्चा करते हुए भारत की जीडीपी ग्रोथ की कहानी पर बोलते हुए राजन ने कहा कि फिलहाल हम ऐसी स्थिति में आ गए हैं, जहां एक स्थिर गति से विकास कर रहे हैं. यह 6% की सीमा में हो रहा, जो नई बात नहीं है. असल में यह चिंताजनक है, क्योंकि 6% हमारे लिए पर्याप्त नहीं है. हमें और पॉपुलेशन डिविडेंड का नतीजा नहीं मिल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें प्राइवेट सेक्टर को भी आगे आना होगा. सरकार हमेशा अकेले ही ग्रोथ की कहानी नहीं लिख सकती है. सरकार के निवेश की अपनी सीमाएं हैं.
बजट 2025 इसे उम्मीद
माना जा रहा है कि आगामी बजट में सरकार देश में खपत को प्रोत्साहन देने के लिए कई बड़ी घोषणाओं कर सकती है. इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थशास्त्रियों और तमाम हितधारकों के साथ कई दौर की चर्चा की है. इन चर्चाओं में खासतौर पर खपत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. पीएचडीसीसीआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा कि भारतीय मध्यम वर्ग पर फिलहाल 30% कर लगाया जाता है, जिससे उनके पास बचत और उपभोग की जरूरतों के लिए खर्च करने लायक भी पैसा बमुश्किल बचता है. मध्यम वर्ग को 30% कर दर से बचाया जाना चाहिए और यह दर केवल उन लोगों पर लागू होनी चाहिए जिनकी कर योग्य आय 40 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है.”