पति पर था 7000 करोड़ का कर्ज, पत्नी ने संभाल लिया CCD, 6 साल में चुका दिए 6800 करोड़
कैफे कॉफी डे यानी CCD कर्ज में डूबी हुई थी, लेकिन जल्द ही इसके दिन बदलने वाले हैं, कंपनी पर अब बकाया कम बचा है. सीसीडी की मालकिन मालविका इसे लगातार घटाने की कोशिश कर रही है. तो क्या है कंपनी का प्लान जानें डिटेल.

CCD debt reducing plan: कैफे कॉफी डे यानी CCD कॉफी लवर्स की फेवरेट जगह है. एक वक्त इसका डंका बजता था, लेकिन कंपनी के मालिक वी.जी. सिद्धार्थ पर कर्ज का बोझ बढ़ने और उनकी आत्महत्या के बाद से कंपनी मुसीबतों में घिर गई. हालांकि कर्ज में डूबी सीसीडी को उबारने में उनकी पत्नी मालविका हेगड़े ने अपनी जी जान लगा दी. उन्हें कामयाबी भी मिली, लेकिन दिवालियापन संहिता मानदंड और दूसरी परेशानियों के चलते कंपनी दोबारा मुसीबत में घिर गई. मगर कंपनी ने हार नहीं मानी अब वो अपने 205 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज को डिबेंचर होल्डर्स के साथ निपटाएगी. कंपनी ने ये फैसला हाल ही में NCLAT की ओर से IDBI ट्रस्टीशिप सर्विस की दिवालिया याचिका को खारिज किए जाने के बाद लिया है.
पहले कैसे किया कर्जों का निपटारा
CCD पर 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था. कंपनी ने हिम्मत नहीं हारी और कर्ज घटाने की ठान ली. 2020 में कंपनी ने ग्लोबल विलेज टेक पार्क को ब्लैकस्टोन को 2,800 करोड़ में बेच दिया. इसके अलावा जो बिजनेस फायदे में नहीं थे, उन्हें अलविदा कह दिया और घाटे वाली दुकानों को बंद कर दिया. अब डिबेंचर होल्डर्स के साथ कर्ज का निपटारा होगा.
रेवेन्यू में बढ़ोतरी
फाइनेंशियल स्कोरकार्ड की बात करें तो Q3FY24 में CCD का रेवेन्यू 257 करोड़ का था, जो Q3FY25 में 8.94% बढ़कर 280 करोड़ हो गया. पिछले क्वार्टर से तुलना करें तो 4.08% की बढ़त है. लेकिन नेट प्रॉफिट में 11 करोड़ का नुकसान हुआ है. पिछले क्वार्टर में ये नुकसान 4 करोड़ था.
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कर्ज में कैसे डूबी थी कंपनी?
कैफे कॉफी डे की नींव वी.जी. सिद्धार्थ ने 1996 में रखी थी. उन्होंने सबसे पहले बैंगलोर में इसकी दुकान खोली थी. उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये से बिजनेस स्टार्ट किया था. शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किलें आईं, लेकिन जल्द ही CCD पूरे देश में छाा गया, लेकिन बड़े-बड़े सपने देखने और इसे पूरा करने की हड़बड़ाहट में वी.जी. सिद्धार्थ ने कई गलतियां की. उन्होंने एक समय पर कई इंडस्ट्रीज जैसे लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट और IT सबसे में हाथ डाल दिया, नतीजतन कर्ज का बोझ इतना बढ़ा कि उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी. संकट की इस घड़ी में सिद्धार्थ की पत्नी और CCD की मालकिन मालविका हेगड़े आगे आईं और तमाम कोशिशों से कंपनी को मुनाफे में लेकर आईं. हालांकि IDBI ट्रस्टीशिप सर्विस की दिवालिया याचिका के चलते कंपनी दोबारा मुसीबत में घिर गई थी.
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